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मणिपुर में पिछले करीब तीन महीने से हिंसा की घटनाओं के चलते कर्फ्यू जैसे हालात

[Edited By: Rajendra]

Thursday, 10th August , 2023 01:18 pm

मणिपुर में पिछले करीब तीन महीने से हिंसा की घटनाओं के चलते कर्फ्यू जैसे हालात हैं। इसी बीच पूरे राज्य को छावनी में तब्दील कर दिया गया, सुरक्षाबलों की कई कंपनियां तैनात की गईं। जिनमें असम राइफल्स भी शामिल है। हालांकि मणिपुर पुलिस और असम राइफल्स के बीच इस दौरान विवाद देखने को मिला, मणिपुर पुलिस ने असम राइफल्स के चार जवानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि 6 अगस्त को क्वाक्टा शहर में हुई हिंसा के दौरान इन जवानों ने बिष्णुपुर पुलिसकर्मियों के काम में बाधा डालने का काम किया।

मणिपुर के 40 विधायकों ने बुधवार को पीएम मोदी को चिट्‌ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने अपनी 6 मांगों को रखा है। इनमें मणिपुर में NRC लागू करने, उग्रवादियों से हथियार वापस लेने और शांतिवार्ता की पहल शामिल है। वहीं, विशेष विधानसभा सत्र की मांग को लेकर सैकड़ों महिलाओं ने बुधवार रात करीब 9।30 बजे इंफाल के कीसंपत, कीसमथोंग और क्वाकीथेल और इंफाल पूर्वी जिले के वांगखेई और कोंगबा में मशाल जुलूस भी निकाला। उधर, स्थानीय पुलिस और असम राइफल्स आमने-सामने हो गए हैं। दोनों के बीच टकराव बढ़ गया है। दोनों के बीच बहस के कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आ चुके हैं।

सुरक्षा बलों की साधारण तैनाती काफी नहीं। हिंसा को रोकने के लिए उपद्रवियों से हथियार वापसी बेहद जरूरी है। कई खबरें आईं, जब किसान खेतों में काम करने बाहर गए और ऊंचाई पर बैठे लोगों ने उन पर गोलियां चला दीं। इन घटनाओं में अत्याधुनिक हथियार स्नाइपर राइफल और रॉकेट ग्रेनेड इस्तेमाल हुए हैं। कई बार ये घटनाएं केंद्रीय सुरक्षा बलों की मौजूदगी में हुईं और वे कुछ नहीं कर सके। इससे उन लोगों को भरोसा कम हुआ और गुस्सा बढ़ा। असम राइफल्स (9, 22 और 37) को हटाकर उनकी जगह राज्य और सेंट्रल फोर्स को तैनात किया जाए, ताकि शांति बहाल हो सके।

30 कुकी समुदाय के 25 समूहों के साथ 2008 में हुए सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन के समझौते को वापस लिया जाए, क्योंकि यहां नियमों का उल्लंघन किया है। राज्य में हथियारों और गोला-बारूद समेत बड़े पैमाने पर विदेशी घुसपैठ हुई है। इनके सोर्स और फंडिंग की जांच की जाए, ताकि यह पता चल सके कि पिछले तीन महीनों से संघर्ष कैसे चल रहा है और हथियार कैसे आ रहे हैं।

संघर्ष को रोकने के लिए इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से देखा जाना चाहिए। कई ऑप्शन हैं, उनमें से एक मणिपुर के मूल निवासियों के लिए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स को जल्द लागू किया जा सकता है। अप्रवासियों के बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन की जो शुरुआत हुई है, उसे और मजबूती दी जाए।

यह एक सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट है जिसे जरूर उठाया जाना चाहिए। ITLF/कुकी की मांग पर राज्य में अलग प्रशासन किसी भी हालत में स्वीकार नहीं है।

सभी समुदायों का भरोसा दिलाने के लिए ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (ADC) को मजबूत करें। हिल एरिया कमेटी और छह ADC के लिए नियमित चुनाव पर विचार कर सकते हैं।

इन पांच बातों के पूरा होने के बाद आवश्यक शांति वार्ता शुरू की जा सकती है और चल रहे संकट का एक परमानेंट सॉल्यूशन निकाला जा सकता है।

राज्य के एडीजी ने बिष्णुपुर जिले के मोइरंग लमखाई चेकपॉइंट से असम राइफल्स को हटाकर उसकी जगह पुलिस और CRPF को तैनात किया है। यह कदम मैतेई महिलाओं के संगठन मेइरा पाइबीस के असम राइफल्स को हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन के बाद उठाया गया है। संगठन का आरोप है कि असम राइफल्स कुकी समुदाय की तरफदारी कर रहा है। मैतेई समुदाय की मांग को मणिपुर के भाजपा विधायक का भी समर्थन मिल रहा है।

सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इस एफआईआर का मणिपुर में चल रहे ऑपरेशन पर किसी भी तरह का कोई असर नहीं पड़ेगा। एफआईआर दर्ज होने के बाद सेना के बड़े पदाधिकारियों की तरफ से ये मैसेज दिया गया था कि हमेशा की तरह बल निष्पक्ष रहेगा और किसी से बिना डरे अपना काम करता रहेगा। सूत्रों ने बताया कि जहां ये घटना हुई, वहां सभी जवानों को कानूनी सुरक्षा मिली हुई थी।

इस मामले को लेकर सेना ने मणिपुर पुलिस को लेकर सख्त टिप्पणी भी की। एफआईआर दर्ज होने के बाद सेना की तरफ से कहा गया कि कुछ तत्वों कीत रफ से केंद्रीय सुरक्षा बलों खासतौर पर असम राइफल्स की भूमिका और इरादों पर सवाल उठाने की बार-बार कोशिश की गई। जो 3 मई के बाद से ही मणिपुर में लोगों की जिंदगियां बचाने और शांति बहाल करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।

हालांकि बयान में आगे कहा गया है कि मणिपुर में जमीनी हालात और मुश्किल परिस्थितियों के चलते अलग-अलग सुरक्षा बलों के बीच सामरिक स्तर पर कभी-कभी मतभेद होते हैं। ऐसी गलतफहमियों की वजह से कई बार ऐसी स्थिति बन जाती है। इसका तुरंत समाधान कर लिया गया था। इस बयान में कहा गया कि पिछले 24 घंटे में असम राइफल्स को बदनाम करने के दो मामले सामने आए थे। अधिकारियों ने बताया कि ऐसे कई मामले पिछले दिनों सामने आए हैं, जिनमें अफवाहें फैलाने की कोशिश की गई, इनसे निपटने की कोशिश जारी है।

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