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केंद्र सरकार यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट) के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार

[Edited By: Rajendra]

Tuesday, 28th January , 2020 02:01 pm

बोडो उग्रवादियों के सरकार से समझौते के बाद असम सरकार में मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने उग्रवादी संगठन उल्फा-आई के लीडर परेश बरुआ को बातचीत के लिए न्योता दिया है। पहले ही केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो संगठन के प्रतिनिधियों ने सोमवार को असम समझौते पर दस्तखत किए। इसके तहत अब असम से अलग बोडोलैंड बनाने की मांग खत्म होगी।

उल्फा-आई संगठन के प्रमुख परेश बरुआ ने कहा था कि इससे आने वाले समय में असम में शांति स्थापित होगी। खासकर बोडोलैंड के क्षेत्र में। बरुआ ने एक चैनल से बातचीत में समझौते का स्वागत करते हुए कहा था कि राज्य में इसे लेकर कोई अलग विचार नहीं है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो संगठन के प्रतिनिधियों ने सोमवार को असम समझौता-2020 पर दस्तखत किए। इसके साथ ही करीब 50 साल से चला आ रहा बोडोलैंड विवाद खत्म हो गया है। इस मौके पर गृह मंत्री ने घोषणा की कि नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के 1,550 सदस्य 30 जनवरी को 130 हथियार सौंपकर आत्मसमर्पण कर देंगे। समझौते में असम के संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंड ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी), ऑल बोडो स्टूडेंट एसोसिएशन (एबीएसए) शामिल हुए।

परेश बरुआ ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर उल्फा की स्थापना की थी। उल्फा आतंकियों ने चाय बागानों और आम जनता से वसूली के जरिए अपना तंत्र खड़ा किया और विरोध करने वालों की हत्या शुरू कर दी। उल्फा की स्थापना का मकसद सशस्त्र संघर्ष के जरिए असम को एक स्वायत्त और संप्रभु राज्य बनाना था। 1990 में केंद्र सरकार ने उल्फा पर प्रतिबंध लगा दिया और इसके खिलाफ सैन्य अभियान शुरू किए। 1998 के बाद से बड़ी संख्या में उल्फा के सदस्यों ने आत्मसमर्पण कर दिया।

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