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आंध्र प्रदेश:  BJP का मिशन 2024 शुरू, जानिए प्लान के बारे में 

[Edited By: Admin]

Wednesday, 26th June , 2019 01:07 pm

त्रिपुरा में बीस सालों से सत्ता में काबिज माणिक सरकार को पिछले साल उखाड़ फेंकने में अहम भूमिका निभाने वाले बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव सुनील देवधर की नजरें अब आंध्र प्रदेश पर हैं. त्रिपुरा में करिश्माई संगठन क्षमता का प्रदर्शन करने के बाद ही बीजेपी ने उन्हें दक्षिण भारत के इस अहम सूबे में खाता खोलने की जिम्मेदारी दी है. 30 जुलाई 2018 को आंध्र प्रदेश का सह प्रभारी बनाए जाने के बाद से सुनील देवधर ने आंध्र प्रदेश में अपना फोकस कर रखा है. स्थानीय जनता से भावनात्मक जुड़ाव के लिए न केवल तेलुगू सीख रहे हैं, बल्कि विजयवाड़ा में घर भी ले लिया है.

सुनील देवधर के नेतृत्व में एक पूरी टीम फिलहाल संगठन को मजबूत बनाने में जुटी है. हालिया लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भले ही, बीजेपी को एक भी सीट हाथ नहीं लगी, मगर सत्ताधारी तेलुगू देशम पार्टी की करारी हार से बीजेपी को यहां अपने लिए संभावनाएं दिखने लगी हैं. हाल में टीडीपी के छह में से चार सांसदों के पार्टी में शामिल होने से भी बीजेपी को लग रहा है कि जोर देने पर अगले चुनाव में पार्टी अपने प्रदर्शन से चौंका सकती है. सुनील देवधर का कहना है कि हार से निराशा में घिरी टीडीपी अगले कुछ महीनों के भीतर टूटकर बिखर जाएगी.

21 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य

अभी से आंध्र प्रदेश जीतने का रोडमैप तैयार करने में जुटे बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव सुनील देवधर ने आजतक डॉट इन से बातचीत में बताया कि राज्य में इस बार कम से कम 21 लाख सदस्य बनाने की तैयारी है. त्रिपुरा की तरह यहां पार्टी घर-घर दस्तक देगी. लोगों को आंध्र प्रदेश में पिछली नायडू सरकार के भ्रष्टाचार से वाकिफ कराने के साथ बताया जाएगा कि आंध्र प्रदेश के स्वाभिमान के लिए एनटी रामाराव ने बाहुबली बनकर तेलुगू देशम पार्टी की स्थापना की थी, मगर चंद्रबाबू नायडू उनकी सियासत के लिए कटप्पा साबित हुए.

देवधर के मुताबिक 2019 के चुनाव की तैयारी के लिए पार्टी के पास ज्यादा मौके नहीं थे. ऐसे में हमने सोचा कि पहले तो मोदी सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास लाने वाले नायडू के खिलाफ उनके ही राज्य में जनता का अविश्वास पैदा कर सबक सिखाया जाए. फिर अगले चुनाव तक पार्टी संगठन मजबूत कर नतीजों को पक्ष में करने की कोशिश में है. मिशन 2024 सफल होकर रहेगा.

बूथ और पन्ना प्रभारी नियुक्त हो रहे

भले ही अभी आंध्र प्रदेश में 2024 में चुनाव होंगे. मगर भारतीय जनता पार्टी ने यहां कार्यकर्ताओं की पूरी फौज तैयार करनी शुरू कर दी है. बूथ और पन्ना प्रभारियों को तैनात किया जाने लगा है. छह जुलाई से सदस्यता अभियान शुरू होने के बाद पार्टी सभी सदस्यों से घर-घर संपर्क करेगी. त्रिपुरा में जिस तरह से गांव-गिराव के लोगों के बीच रातें गुजार-गुजारकर उनके बीच सुनील देवधर ने बीजेपी का प्रभाव पैदा करने की सफल कोशिश की, कुछ वैसा ही आंध्र प्रदेश में भी करने की तैयारी है.


त्रिपुरा में देवधर का करिश्मा

आरएसएस के 1991 से प्रचारक रहे सुनील देवधर को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने नवंबर 2014 में उस त्रिपुरा का प्रभारी बनाया था, जहां बीजेपी की हैसियत शून्य थी और पिछले 20 वर्षों से सत्ता में लेफ्ट की माणिक सरकार थी. मगर 2014 से फरवरी, 2018 के बीच सुनील देवधर ने बिना किसी सुरक्षा के जनजातीय इलाकों में वहां की जनता के बीच समय बिताना शुरू किया. तत्कालीन मुख्यमंत्री माणिक सरकार के खिलाफ आक्रामक कैंपेनिंग छेड़ दी. माणिक सरकार की कथित ईमानदार छवि को कटघरे में खड़ा करने की मुहिम शुरू की. उन्होंने माणिक सरकार की छवि को लेकर दृश्यम और सत्यम का नारा दिया. मोदी दूत योजना के तहत स्थानीय भाषा में जनता को केंद्र सरकार की योजनाओं समझाकर उससे जोड़ने की पहल की. बंगाली से लेकर कोक बोरोक भाषा भी सीखी. मेहनत का नतीजा रहा कि जिस बीजेपी को 2013 में महज डेढ़ प्रतिशत वोट मिले थे, उसे 2018 के विधानसभा चुनाव में अपने दम पर 40 प्रतिशत वोट मिले और पार्टी ने 20 सालों से काबिज लेफ्ट सरकार को सत्ता से बेदखल कर खुद सरकार बनाने में सफलता हासिल की.

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