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इलेक्टोरल बॉन्ड से भाजपा को मिला करोड़ों का चंदा, कांग्रेस ने लगाए कई गंभीर आरोप

[Edited By: Admin]

Thursday, 21st November , 2019 02:09 pm

इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए भाजपा को मिले राजनीतिक चंदे को लेकर घमासान मचा हुआ है. कांग्रेस का आरोप है कि बॉन्ड के जरिए भाजपा को फायदा हुआ है. भाजपा को वित्तीय वर्ष 2018-19 में 20,000 रुपये से अधिक के दान में 743 करोड़ रुपये मिले. यह राशि कांग्रेस समेत छह राष्ट्रीय दलों को प्राप्त हुई चंदे की राशि से तीन गुना अधिक है.

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 31 अक्तूबर को चुनाव आयोग के सामने दायर हलफनामे में भाजपा ने इस बात का खुलासा किया था. इस जानकारी को सोमवार को सार्वजनिक किया गया. भाजपा को प्राप्त 743 करोड़ रुपये की राशि कांग्रेस सहित अन्य सभी छह राष्ट्रीय दलों को इस तरह के मिले दान में प्राप्त संयुक्त राशि से तीन गुना अधिक है.

कांग्रेस को चुनावी दान में 147 करोड़ रुपये मिले हैं. यह राशि भाजपा को मिले चंदे का सिर्फ पांचवा हिस्सा ही है. भाजपा को 2018-19 में सबसे ज्यादा दान प्रोग्रेसिव इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट द्वारा दिया गया. इसने भाजपा को 357 करोड़ की राशि चंदे में दी.

इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम

चुनावी बॉन्ड व्यवस्था की घोषणा सरकार ने साल 2017 के बजट में की गई थी. इस साल के बजट ने लोगों को अपने पसंदीदा राजनीतिक दल के साथ जुड़ने का एक नया तरीका पेश किया. चुनावी बॉन्ड न तो टैक्स में छूट देते हैं और न ही ब्याज कमाने का साधन हैं. इसे चुनावी फंडिंग में सुधार के तरीके के रूप में प्रस्तावित किया गया है.

निश्चित पार्टियों के लिए एक अधिसूचित बैंक द्वारा चुनावी बॉन्ड जारी किए जाएंगे. यदि आप किसी राजनीतिक पार्टी को दान या चंदा देने के इच्छुक हैं, तो आप इन बॉन्ड को डिजिटल रूप से या चेक के माध्यम से भुगतान करके खरीद सकते हैं. फिर आप एक पंजीकृत राजनीतिक पार्टी को उपहार या चंदा देने के लिए स्वतंत्र हैं.

बॉन्ड संभावित रूप से वाहक बॉन्ड होंगे और देने वाले की पहचान सार्वजनिक नहीं होगी. यहां तक की चंदा प्राप्त कर रही पार्टी को भी दानदाता के बारे में पता नहीं चलेगा.

संबंधित पार्टी इन बॉन्ड को अपने बैंक खातों के माध्यम से रुपये में बदल सकती है. इसके लिए उपयोग किए गए बैंक खाते की जानकारी चुनाव आयोग को देना अनिवार्य है. बॉन्ड को एक निश्चित समय अवधि के भीतर ही बैंक में जमा किया जा सकता है. विलंब होने पर इसका भुगतान नहीं हो सकता. इन बॉन्ड में भुगतान होने की समय सीमा निश्चित होती है.

केवल भारतीय रिजर्व बैंक को ही इन बॉन्डों को जारी करने की अनुमति है, जिन्हें अधिसूचित बैंकों के माध्यम से बेचा जा रहा है.

चुनावी बॉन्ड जारी करने वाला भारत दुनिया का पहला देश

भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है, जहां चुनावी फंडिंग और राजनीति में बढ़ते भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए इस तरह का बॉन्ड जारी किया गया है. हालांकि कुछ देशों में राजनीतिक पार्टियों का पूरा खर्च सरकार उठाती है, ताकि राजनीतिक दलों में भ्रष्टाचार न हो. माना जाता है चुनावी बॉन्ड का प्रचलन राजनीति में काले धन के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा देगा.

चुनावी बॉन्ड जारी करने का उद्देश्य

चुनावी बॉन्ड का उद्देश्य राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद व गुप्त चंदे के चलन को रोकना है. दरअसल, जब राजनीतिक दलों को चंदे की राशि नकदी में दी जाती है, तो धन के स्रोत के बारे में, चंदा दाने वाले व्यक्ति या संगठन के बारे में और यह धन कहां खर्च किया गया, इसकी भी कोई जानकारी नहीं मिलती. इसलिये सरकार ने चुनावी बांड की शुरुआत की थी ताकि चुनावी फंडिंग साफ-सुथरी और पारदर्शी हो.

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