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बाबा राम रहीम ने मांगी 'खेती के लिए पेरोल', खट्टर और कुमार विश्वास ने दिया बड़ा बयान

[Edited By: Admin]

Thursday, 27th June , 2019 06:02 pm

हरियाणा सरकार इन दिनों रेप के दोषी डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की परोल पर स्थिति साफ न करने को लेकर आलोचना का शिकार हो रही है। सरकार के लिए डेरा प्रमुख को परोल देना कतई भी आसान नहीं होगा। पिछले महीने ही पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने डेरा प्रमुख की रिहाई को यह कहकर खारिज कर दिया था कि इससे 'कानून व्यवस्था की समस्या' पैदा हो सकती है। 

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कवि डॉ. कुमार विश्वास  ने राम रहीम सिंह की पैरोल अर्जी के बहाने नेताओं पर तंज कसा है. कुमार विश्वास  ने ट्वीट कर कहा, 'हत्या-बलात्कार के आरोप में न्यायालय द्वारा सिद्ध मुजरिम राम-रहीम 'खेती' करने के लिए सरकारी-अनुमति पाकर जेल से बाहर आना चाहता है. सही बात है...चार महीने बाद चुनाव हैं...वो 'खेती' नहीं करेगा तो राजनेता ''फ़सल'' कैसे काटेंगे? आपको बता दें कि गुरमीत राम रहीम की तरफ से 42 दिनों की पैरोल अर्ज़ी दाखिल की गई है. इसके बाद जेल अधीक्षक ने सिरसा जिला प्रशासन को खत लिखा है.
जेल अधीक्षक ने गुरमीत राम रहीम के पक्ष में रिपोर्ट दी है.

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जेल अधीक्षक ने पत्र में उल्लेख किया है कि गुरमीत का जेल में व्यवहार ठीक है और उसने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है. बता दें कि जिला प्रशासन को एक रिपोर्ट रोहतक मंडल के आयुक्त को सौंपने के लिए कहा गया है. सिरसा पुलिस ने पत्र मिलने के बाद राजस्व विभाग से यह जानने के लिये संपर्क किया है कि डेरा प्रमुख के पास कितनी जमीन है. सिरसा के पुलिस उपाधीक्षक राजेश कुमार ने बताया, "हमने राजस्व विभाग से पूछा है कि उनके नाम पर कितनी जमीन है. इसकी जानकारी मिलनी अभी बाकी है." दूसरी तरफ, इस मामले में हरियाणा सरकार के मंत्री केएल पंवार ने भी कहा है कि सभी दोषियों को दो साल बाद पैरोल का हकदार माना जाता है.

 

 सीएम खट्टर ने कही ये बात

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सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम सिंह इंसा द्वारा पैरोल के लिए लगाई गई अर्जी पर सीएम मनोहर लाल ने कहा है कि किसी भी कैदी के लिए पैरोल मांगना उसका हक है। मगर उसे पैरोल दी जा सकती है या नहीं यह एक बड़ी प्रक्रिया है। इसमें सरकार कुछ नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा जनहित में फैसला करती है और इस मुद्दे से सरकार का कोई संबंध नहीं है। यह एक प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रिया है।

डेरामुखी को पैरोल दी जानी चाहिए या नहीं, इस पर हरियाणा सरकार क्या चाहती है? इस सवाल पर सीएम मनोहर लाल ने कहा कि जब भी कोई कैदी अपनी पैरोल की अर्जी जेल अधीक्षक को देता है तो जेल अधीक्षक उस अर्जी को संबंधित जिले के डीसी को भेजता है। उसके बाद जिला उपायुक्त उस अर्जी पर संबंधित जिला पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट मांगता है। 

डीसी और एसपी की रिपोर्ट को बाद में मंडल आयुक्त के पास भेजा जाता है और मंडल आयुक्त उस पर अपनी टिप्पणी देकर केस सरकार को भेजते हैं। सीएम ने कहा कि अभी तो यह मामला जिले के अधिकारियों यानी डीसी और एसपी स्तर पर ही है। 

अभी सरकार के पास न तो कोई रिपोर्ट आई है और न ही सरकार अभी इस पर कुछ कह सकती है। सीएम ने कहा कि इसके अलावा यह एक कानूनी प्रक्रिया है और कानून के दायरे में ही यह फैसला होता है कि कैदी को पैरोल दी जानी है या नहीं। सरकार हमेशा वही निर्णय लेती है है जो प्रदेश हित में होता है।

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