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अमर जवान ज्योति आज नेशनल वॉर मेमोरियल की ज्योति में मिल जाएगी

[Edited By: Shashank]

Friday, 21st January , 2022 01:22 pm

 

इंडिया गेट की पहचान बन चुकी अमर जवान ज्योति को 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस से पहले यहां से शिफ्ट किया गया। अमर जवान ज्योति अब इंडिया गेट की जगह नेशनल वॉर मेमोरियल पर प्रज्जवलित होगी। आज इसकी लौ को वॉर मेमोरियल की ज्योति में ही मिला दिया गया। दोनों लौ को एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण की अध्यक्षता में आपस में मिला दिया गया |

अमर जवान ज्योति को पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में शहीद होने वाले 3,843 भारतीय जवानों की याद में बनाया गया था। इसे पहली बार 1972 में प्रज्जवलित किया गया था। तत्कालीन PM इंदिरा गांधी ने 26 फरवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था।
वहीं नेशनल वॉर मेमोरियल का निर्माण केंद्र सरकार ने 2019 में किया। इसे 1947 में देश की आजादी के बाद से अब तक शहादत दे चुके 26,466 भारतीय जवानों के सम्मान में निर्मित किया गया था। 25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्मारक का उद्घाटन किया था।

सरकार के इस फैसले पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया सामने आई हैं। कई पूर्व सैनिकों ने इसे अपनी भावनाओं से जुड़ा हुआ बताते हुए नहीं हटाए जाने की अपील भी की है। हालांकि, पूर्व नेवी चीफ एडमिरल अरुण प्रकाश ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा कि अमर जवान ज्योति को इंडिया गेट पर अस्थाई रूप से स्थापित किया गया था। अब हमारे पास अपना एक वॉर मेमोरियल है, तो इसे वहीं ले जाना बेहतर होगा।

राहुल गांधी ने इस प्रतिक्रिया देते हुए कहा - बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं… हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे!

इस पर सरकारी सूत्रों ने बताया कि इवेंट को लेकर काफी गलतफहमियां हैं। अमर जवान ज्योति को बुझाया नहीं जा रहा है। इसका नेशनल वॉर मेमोरियल पर प्रज्जवलित ज्योति के साथ विलय किया जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि यह काफी अजीब बात थी कि अमर जवान ज्योति पर जलने वाली ज्योत 1971 और अन्य युद्धों में शहीद होने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देती थी, लेकिन उनमें से किसी का नाम यहां नहीं लिखा था। इंडिया गेट पर जो नाम लिखे हैं वे उन सैनिकों के हैं जो वर्ल्ड वॉर-1 और एंग्लो-अफगान वॉर में शरीद हुए। यह हमारे गुलामी वाले समय की याद दिलाते हैं। 1971 के युद्ध समेत बाकी सभी युद्धों में शरीद होने वाले सैनिकों के नाम नेशनल वॉर मेमोरियल में दर्ज हैं। इसलिए वहां ज्योति जलाना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। यह विडंबना है कि जिन लोगों ने 70 साल में नेशनल वॉर मेमोरियल नहीं बनाया वे अब हमारे शहीद सैनिकों को सही श्रद्धांजलि मिलने पर विवाद खड़ा कर रहे हैं।

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