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आइसा कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर लगाया बदसलूकी का आरोप

[Edited By: Arshi]

Tuesday, 12th October , 2021 03:25 pm

भारत में आए दिन लोकतंत्र का हनन होता रहता है. कभी किसी मुद्दे पर उठने वाली आवाज़ को पैसों के दम पर बंद करवाया जाता है तो कभी हक के लिए उठने वाली नज़र को झुकाया जाता है. राइट टू स्पीच एंड फ्रीडम यानी बोलने व आज़ादी के लिए आज़ादी जो कि संविधान के मुताबिक हमें है, मगर ज़मीनी हकीकत कुछ और दृश्य दिखा रही है. 'ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन' की कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पुलिस ने उनके साथ बदसुलूकी की, वहीं दिल्ली पुलिस का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहीं 'ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन' की कार्यकर्ताओं के साथ 'किसी भी तरह का कोई दुर्व्यवहार' नहीं किया गया है.

 

पुलिस का कहना है कि मौक़े पर तैनात दिल्ली पुलिस के जवानों और अधिकारियों ने वैसा ही किया, जो उनके 'स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर' में है. प्रदर्शन को लेकर 'आइसा' की महिला कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि जिस समय वो लखीमपुर खीरी की घटना और नए कृषि क़ानूनों का विरोध करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास के बाहर प्रदर्शन कर रही थी, उस समय वहाँ तैनात पुलिसकर्मियों ने उनके साथ 'बदसलूकी की और प्रताड़ित किया.'

 

घटना को लेकर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने एक बयान जारी किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि प्रदर्शन के दौरान महिला कार्यकर्ताओं के साथ दुर्व्यवहार किया गया. संगठन की केंद्रीय कमेटी की तरफ़ से ये बयान कविता कृष्णन ने जारी किया है, जिसमें आरोप है कि प्रदर्शन कर रहीं आइसा की महिला कार्यकर्ताओं के साथ वहाँ तैनात महिला पुलिसकर्मियों ने बदसलूकी की. महिला कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाते हुए बताया कि महिला पुलिसकर्मियों ने दो महिला कार्यकर्ताओं के कपड़े उठा दिए और उनके गुप्तांगों पर हमला किया.

 

महिला कार्यकर्ता श्रेया के ने अपने सोशल मीडिया पर एक ऑडियो भी जारी किया है, उनका दावा है कि ये उसी समय का है जब प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोका था.  श्रेया ने अपने सोशल मीडिया पर अनुभव साझा करते हुए आरोप लगाया है कि पुरुष कार्यकर्ताओं के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया जबकि दूसरी कार्यकर्ता नेहा तिवारी जब वीडियो बना रहीं थीं तो उनका मोबाइल फ़ोन छीन लिया गया और उन्हें महिला पुलिसकर्मियों ने 'ग़लत तरीक़े से' छुआ था.

 

उनका ये भी आरोप है कि जब ये सबकुछ महिला पुलिसकर्मी कर रहीं थीं तो पुरूष पुलिसकर्मी 'ये सब चुपचाप खड़े देख रहे' थे. इन सब आरोपों को दिल्ली पुलिस के ज्वॉइंट कमिश्नर जसपाल सिंह ने ख़ारिज करते हुए कहा, "ये ग़लत बयान दे रहे हैं. ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं वो दुर्भाग्यपूर्ण हैं."जसपाल सिंह कहते हैं कि दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं और पुलिस के जवान और अधिकारी बड़ी ही ज़िम्मेदारी के साथ अपना काम कर रहे हैं.ज्वॉइंट कमिश्नर जसपाल सिंह का कहना था, "हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के आवास के बाहर भी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन हुआ. हमने प्रदर्शनकारियों को 250 मीटर दूर ही रोक दिया और गिरफ़्तार किया. उसी तरह दूसरी जगहों पर भी प्रदर्शन हुआ और पुलिस ने ज़िम्मेदाराना रवैए का परिचय दिया है. दिल्ली में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू है. अमूमन जंतर मंतर पर ही धरने और प्रदर्शन होते हैं. उतने इलाक़े को इस निषेधज्ञा से मुक्त रखा गया है.अब राजनीतिक दलों में ये देखने को मिल रहा है कि वो अब नेताओं के घरों के बाहर प्रदर्शन की कोशिश करने लगे हैं. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि घर में परिवार के लोग रहते हैं. इसलिए दिल्ली पुलिस इस तरह के मामलों में ज़्यादा सतर्कता बरतती है."

 

हालाँकि श्रेया का आरोप है कि प्रदर्शन के दौरान लगी चोटों के बावजूद उन्हें चिकित्सा सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई. उनका ये भी आरोप है कि गिरफ़्तार किए गए प्रदर्शनकारियों को "धमकाया गया कि अगर इस संबंध में मामला दर्ज करते हैं, तो उसके बुरे परिणाम होंगे."दिल्ली पुलिस ने इन आरोपों को भी सिरे से ख़ारिज किया है.

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