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सेशन कोर्ट के बाद अब हाई कोर्ट में भी राहुल की याचिका ख़ारिज

[Edited By: Rajendra]

Friday, 7th July , 2023 12:50 pm

मोदी सरनेम को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि केस में हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने सजा पर रोक के लिए राहुल गांधी की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस हेमंत प्रच्छक ने सूरत कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें उन्हें 2 साल की सजा सुनाई गई थी। राहुल गांधी पर हाई कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि उनकी संसद सदस्यता फिलहाल निरस्त ही रहेगी। हालांकि, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प खुला है।

मोदी सरनेम मामले में टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि के तहत दोषी ठहराया गया है और इस फ़ैसले को उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट में निलंबित करने की अपील की थी। हाई कोर्ट में शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की तरफ से वरिष्ठ वकील निरुपम नानावटी ने दलीलें रखीं तो राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेस हुए थे। इससे पहले 2 जून को हाई कोर्ट ने राहुल गांधी को अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था।

हाई कोर्ट के जज हेमंत प्रच्छक ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि के दूसरे मुकदमों का जिक्र किया तो राजनीति में शुचिता रखने की नसीहत भी दी। उन्होंने कहा, 'अस्तित्वहीन आधार पर (गांधी) सजा पर स्टे मांग रहे हैं। सजा पर रोक नियम नहीं है। कम से कम 10 केस उनके खिलाफ लंबित हैं। राजनीति में शुचिता की आवश्यकता होती है। एक शिकायत (गांधी के खिलाफ) वीर सावरकर के पोते ने भी पुणे में दर्ज करा रखी है, कैंब्रिज में वीर सावरकर को लेकर उनके लिए इस्तेमाल किए गए शब्दों की वजह से। स्टे पर रोक आवदेक के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। दोष सिद्धि पर रोक के लिए कोई उचित आधार नहीं है। दोष सिद्धि उचित और वैध है।

राहुल गांधी पर आरोप लगा था कि उन्होंने पूरे मोदी समुदाय की प्रतिष्ठा पर चोट पहुँचाई है। गुजरात में बीजेपी के विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि का मामल दर्ज कराया था। राहुल गांधी ने कहा था कि जब उन्होंने यह बयान दिया था तब उनका इरादा किसी समुदाय की प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाने का नहीं था। हाई कोर्ट के फ़ैसले के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी गुजरात हाई कोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।

अगर राहुल गांधी की सज़ा रोक दी जाती तो उनकी सांसदी बहाल हो सकती थी। गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि राहुल गांधी के ख़िलाफ़ आठ अन्य आपराधिक मानहानि के मामले दर्ज हैं। जस्टिस हेमंत प्रच्छक ने कहा कि इस मुक़दमे के बाद भी कई अन्य मामले दर्ज हैं। ऐसा ही मामला सावरकर के पोते ने राहुल गांधी के ख़िलाफ़ दर्ज कराया है।

बीजेपी ने गुजरात हाई कोर्ट के फ़ैसले का तत्काल स्वागत किया है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने ट्वीट कर कहा- सत्यमेव जयते। अपने ट्वीट में पूनावाला ने कहा है, ''सेशन कोर्ट के बाद अब हाई कोर्ट ने भी राहुल की याचिका को ख़ारिज कर दिया है। राहुल गांधी लगातार क़ानून का उल्लंघन कर रहे हैं। उन्होंने अब तक ओबीसी समाज से माफ़ी नहीं मांगी है।''

हाई कोर्ट के फ़ैसले पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा है कि पूरा देश राहुल गांधी के साथ है। उन्होंने कहा कि बीजेपी राहुल गांधी को रोकना चाहती है इसलिए उनके ख़िलाफ़ कई तरह के केस दर्ज कराए गए हैं। डीके शिवकुमार ने कहा कि राहुल गांधी और मज़बूती से उभरकर सामने आएंगे।

1951 के जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत किसी सदस्य को सदन से अयोग्य साबित करने के कई मानदंड हैं। जैसे कि अगर किसी भी सदन के सांसद को किसी अपराध के लिए छह साल से अधिक की सज़ा हो, या फिर उन्हें कुछ दूसरी धाराएं जैसे सेक्शन 153A ( धर्म आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का अपराध, और सद्भाव कायम रखने के विरुद्ध काम करना) या फिर सेक्शन 171एफ़ ( चुनाव में अनुचित प्रभाव डालने से जुड़ा अपराध)। 1951 के जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत जिन अपराधों का ज़िक्र नहीं है, वैसे किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति, जिसे दो साल के ज़्यादा कि सज़ा हुई है, उसे उसी दिन से अयोग्य घोषित किया जाएगा और बाहर आने से छह साल बाद तक वो अयोग्य ही रहेगा।

मोदी सरनेम को लेकर विवादित टिप्पणी को लेकर दायर आपराधिक मानहानि केस में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने 23 मार्च को दोषी करार दिया था। आईपीसी की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी। इसके बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता निरस्त कर दी गई। राहुल 2019 में केरल के वायनाड से सांसद चुने गए थे। जिस विवादित भाषण को लेकर राहुल गांधी पर मुकदमा हुआ था वह उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक की एक रैली में दिया था। उन्होंने ललित मोदी, नीरव मोदी जैसे भगौड़ों का नाम लेते हुए पूछा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों है। गुजरात में भाजपा के विधायक पूर्णेश मोदी ने इसे पूरे समुदाय का अपमान बताते हुए सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में मुकदमा दायर किया था।

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