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संसद के विशेष सत्र को लेकर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी

[Edited By: Rajendra]

Wednesday, 6th September , 2023 01:59 pm

केंद्र सरकार द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र को लेकर विपक्ष का कन्फ्यूजन दूर नहीं हुआ है। अब पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। सोनिया ने अपनी चिट्ठी में विशेष सत्र का एजेंडा ना बताने पर आपत्ति जताई है तो वहीं अपनी ओर से नौ मांग भी रखी हैं। सोनिया गांधी ने अडानी मामले पर जेपीसी की जांच समेत जातीय जनगणना का मुद्दा उठा दिया है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें सरकार पर निशाना साधा। जयराम रमेश ने बताया कि सोनिया जी ने विपक्ष के मसले को सामने रखा है, उन्होंने साफ कहा है कि विपक्ष से कोई बात नहीं की गई है और मनमाने ढंग से ये किया जा रहा है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि कार्यसूची की जानकारी ही नहीं दी गई है। जयराम रमेश ने कहा कि I.N.D.I.A.\ गठबंधन के जो मुद्दे थे, हम इस सत्र में भी उठाने का प्रयास करेंगे।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने पिछले हफ्ते 18 से 22 सितंबर तक संसद के पांच दिन के विशेष सत्र के बारे में जानकारी दी थी। उधर I.N.D.I.A में शामिल लोकसभा और राज्यसभा सांसदों ने मंगलवार शाम मल्लिकार्जुन खड़गे के घर मीटिंग की। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि I.N.D.I.A अलायंस में शामिल 28 पार्टियों में से 24 पार्टियां 18 सितंबर से शुरू हो रहे संसद के स्पेशल सेशन में शामिल होंगी।

सोनिया गांधी ने इन 9 मुद्दों को उठाया

सोनिया गांधी ने इस चिट्ठी में कुल 9 मुद्दे सामने रखे हैं। इनमें आर्थिक स्थिति, महंगाई, बेरोजगारी के मसले पर चर्चा की मांग की है। किसानों को लेकर सरकार ने जो वादे किए, एमएसपी की गारंटी दी उसपर अभी तक क्या हुआ है। सोनिया गांधी ने अडानी मामले में जेपीसी की जांच की मांग की है, इनके अलावा जातीय जनगणना को तुरंत कराए जाने की अपील की गई है।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्र द्वारा संघीय ढांचे, राज्य सरकारों पर किए जा रहे हमले, हिमाचल प्रदेश में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है। इनके अलावा देश में सांप्रदायिक तनाव, मणिपुर हिंसा और चीन द्वारा लद्दाख में घुसपैठ के मुद्दे को सामने रखा है। सोनिया गांधी ने अपनी दो पन्नों की चिट्ठी में सरकार पर जमकर निशाना साधा है।

1. आर्थिक हालात, महंगाई, बेरोजगारी पर चर्चा।

2. किसानों को एमएसपी को लेकर जो वादा किया गया उसपर चर्चा।

3. अडानी ग्रुप के खिलाफ लगे आरोपों की जेपीसी जांच

4. मणिपुर हिंसा को लेकर चर्चा

5. हरियाणा समेत अन्य राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा पर चर्चा

6. चीन द्वारा भारत की जमीन पर किए गए कब्जे, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को लेकर किए गए दावे पर चर्चा

7. जातीय जनगणना कराना।

8. केंद्र-राज्य के रिश्तों की स्थिति में सुधार

9. हिमाचल समेत अन्य राज्यों में प्राकृतिक आपदा की वजह से जो नुकसान हुआ है उनपर चर्चा।

फ्लोर लीडर्स के साथ मीटिंग के बाद कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा- 'मोदी सरकार पहली बार बिना एजेंडा बताए संसद का विशेष सत्र बुला रही है। किसी भी विपक्षी दल से न तो सलाह ली गई और न ही जानकारी दी गई। यह लोकतंत्र चलाने का तरीका नहीं है। हर दिन, मोदी सरकार एक संभावित एजेंडा की कहानी मीडिया में पेश करती है, जिससे लोगों पर बोझ डालने वाले मुद्दों से ध्यान भटकाने का एक बहाना तैयार होता है। भाजपा महंगाई, बेरोजगारी, मणिपुर, चीन के अतिक्रमण, CAG रिपोर्ट, घोटाले जैसे मुद्दों से ध्यान हटाकर लोगों को धोखा देना चाहती है।

मोदी सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है, सरकार द्वारा जो जानकारी दी गई है अभी उसमें अमृत काल से जुड़े विषयों पर चर्चा की बात कही गई है। हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि सरकार बिना किसी चर्चा और जानकारी के ये विशेष सत्र बुला रही है। सत्र को लेकर कई तरह के कयास लग रहे हैं जिसमें वन नेशन वन इलेक्शन, इंडिया का नाम भारत किए जाने और महिला आरक्षण बिल के आने की बातें कही जा रही हैं। हालांकि सरकार की ओर से अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा गया है।

संसद के विशेष सत्र में कोई भी‎ विधेयक पेश नहीं होगा। न ही जॉइंट सेशन बुलाया जाएगा। पांच दिन में 4-5 प्रस्ताव लाए जाएंगे, जिन ‎पर चर्चा होकर उसे ध्वनि मत से‎ पारित किया जाएगा। संसदीय कार्य‎ मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक‎ दोनों ही सदनों‎ की चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाए गए हैं,‎ लिहाजा जॉइंट सेशन नहीं‎ होगा। अगर जॉइंट सेशन होता तो लंबित पड़े किसी महत्वपूर्ण‎ विधेयक जैसे महिला आरक्षण‎ विधेयक या ‘एक देश एक चुनाव’‎ के पेश होने ‎की संभावना बनती। सूत्रों का‎ कहना है कि G-20, चंद्रयान-3‎ की सफल लैंडिंग, देश के तीसरी आर्थिक‎ शक्ति बनने और इंडिया की जगह भारत का इस्तेमाल ‎करने को लेकर सरकार प्रस्ताव ‎पेश कर चर्चा के बाद उसे पारित‎ करा सकती है।‎

विधायिका में महिलाओं को 33%‎आरक्षण के विधेयक को पास‎ करने को विशेष सत्र का औचित्य‎ नहीं है। यह विधेयक 2010 में‎ राज्यसभा से पारित है। आम राय ‎नहीं बनने से लोकसभा में नहीं‎ लाया गया। लोकसभा में सरकार‎ का बहुमत है, इसके लिए विशेष‎ सत्र की जरूरत नहीं है। हालांकि,‎ इसको लेकर विशेष सत्र में ‎प्रस्ताव लाया जा सकता है,‎ जिसमें सरकार कह सकती है कि ‎यह सदन महिला आरक्षण देने का‎ प्रस्ताव पारित करती है। इससे विंटर सेशन या उसके आगे बजट ‎सत्र में इसे पास कराने के लिए‎ आम सहमति की जरूरत नहीं‎ होगी, क्योंकि सदन इसके लिए ‎विशेष सत्र में प्रस्ताव पारित कर ‎चुका है। समान नागरिक संहिता‎ को लेकर भी सरकार की तरफ से ‎प्रस्ताव लाया जा सकता है। हालांकि, विशेष सत्र का एजेंडा अभी तक सामने नहीं आया है।

केंद्र सरकार ने पिछले दिनों देश में एक साथ चुनाव कराने की संभावना तलाशने और सिफारिशों के लिए 2 सितंबर को आठ सदस्यों वाली समिति बनाई है। जिसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे हैं। लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कमेटी में शामिल होने से इंकार कर दिया है। इनके अलावा गृहमंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, पूर्व वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और पूर्व चीफ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोठारी शामिल हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने कहा- पहले जब भी विशेष सत्र बुलाया गया, तब पार्टियों को मुद्दा बताया जाता था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। हम चाहते है सामाजिक मुद्दों, आर्थिक मुद्दों, विदेश नीति जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो। हम सिर्फ मोदी चालीसा के लिए नहीं बैठेंगे। हम हर सदन में मुद्दे उठाते है, लेकिन हमें मौका नहीं दिया जाता है। इस विशेष सत्र में हम अपना मुद्दा रखना चाहेंगे।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में मंगलवार (5 सितंबर) को दिल्ली में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के कैंपेन कमेटी की पहली बैठक हुई। इसमें मध्य प्रदेश समेत 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कैंपेन की तैयारी पर चर्चा हुई।

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