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केंद्र के साथ बातचीत के लिए किसानों ने तय की तारीख, रखी चार शर्तें

[Edited By: Rajendra]

Monday, 28th December , 2020 05:56 pm

नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का आंदोलन आज 33वें दिन में प्रवेश कर चुका है। इस बीच कई दौर की वार्ता के बाद अब मंगलवार को किसान नेताओं और केंद्र सरकार की होने वाली बैठक अब बुधवार को होगी। इससे पहले किसान संगठनों ने रविवाल को ऐलान किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं हरियाणा के सभी टोल फ्री करेंगे। वहीं पंजाब में किसानों ने 1411 मोबाइल टावरों के कनेक्शन भी काट दिए। आज भी किसान आंदोलन के चलते दिल्ली की कई सीमाएं और रास्ते बंद रहेंगे।

नए कृषि क़ानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच अगली बैठक 30 दिसंबर को दोपहर 2 बजे दिल्ली के विज्ञान भवन में होगी। इस बात की जानकारी केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सोमवार को दी है। केंद्र की तरफ से कहा गया है कि किसान हमेशा खुले मन से मुद्दों पर बातचीत करने को तैयार रहे हैं। सरकार भी किसानों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है और खुले मन से बातचीत करने को तैयार है। एक तरफ केंद्र नए कृषि कानूनों में संशोधन की बात कह रही है वहीं किसान संगठन इसे वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं।

बातचीत को लेकर किसान संगठनों ने सरकार के सामने चार शर्तें भी रखी हैं। साथ ही किसानों ने कहा कि सरकार किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें। किसानों का कहना है कि पहले सरकार तीनों नए कृषि कानून रद्द करे। दूसरे एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी दी जाए। तीसरे बिजली बिल ड्राफ्ट में बदलाव की मांग है और चौथे पराली कानून से किसनों को बाहर रखा जाए। कृषि कानूनों के प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक में यह फैसला किया गया।

क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में टोल स्थायी तौर पर खुले रहेंगे। 30 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर से ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। हम दिल्ली समेत पूरे देश के लोगों से अपील करते हैं कि यहां आकर हमारे साथ नया साल मनाएं।

23 दिसम्बर को किसान संगठनों ने सरकार की ओर से पहले भेजे गए बातचीत के प्रस्ताव को ये कहते हुए ठुकरा दिया कि सरकार की ओर से कुछ ठोस प्रस्ताव आने के बाद ही बातचीत करने पर विचार किया जाएगा। इसके बाद 24 दिसंबर को सरकार ने किसान संगठनों को फिर से बातचीत का निमंत्रण दिया। किसान संगठनों को भेजे गए पत्र में सरकार ने उनसे बातचीत की तारीख और समय बताने को कहा था।

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