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राज्यसभा में गुलाम नबी आजाद बोले- जम्मू कश्मीर में विकास ठप है, राज्य का दर्जा बहाल हो

[Edited By: Punit tiwari]

Monday, 8th February , 2021 05:10 pm

नई दिल्ली-वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में सोमवार को जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद वहां विकास ठप हो गया है और बेरोजगारी में भारी वृद्धि हुई है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और सदन में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों के जम्मू कश्मीर कैडर को अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम, केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर में विलय करने के सरकार के कदम पर भी सवाल उठाया।

आजाद जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 पर सदन में हुई चर्चा में भाग ले रहे थे। यह विधेयक अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के कैडर से संबंधित है। उन्होंने कहा कि सदन में यह शायद उनका आखिरी भाषण है और ऐसे में वह कोई तीखी टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘लेकिन संविधान का अनुच्छेद 370 हटाए जाने और जम्मू कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के बाद वहां विकास के कई वायदे किए गए थे। लेकिन वहां विकास ठप हो गया है और बेरोजगारी में भारी वृद्धि हुई है।’

आजाद ने कहा कि सरकार ने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की बात की थी लेकिन इस विधेयक से ऐसी आशंका बन रही है कि वह जम्मू कश्मीर को स्थायी रूप से केंद्रशासित बनाए रखना चाहती है। अगर जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा देना ही है तो कैडरों के विलय की क्या जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद उद्योगों की संख्या में करीब 60 प्रतिशत की कमी आई है। वहां पहले ही उद्योगों की संख्या कम थी और बाद में उनमें से भी बड़ी संख्या में उद्योग बंद हो गए, जिससे रोजगार पर असर पड़ा।’ आजाद ने कहा कि वहां कोई नया उद्योग नहीं आ रहा है और जो पहले से थे, वे बंद हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू में 12,997 उद्योग थे उनमें से 60 प्रतिशत बंद हो गए।

गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में विकास होने का दावा वास्तविक नहीं है और यह ‘सिर्फ टीवी’ पर है, जमीन पर विकास नहीं दिखता। सड़कें बदहाल हैं और जलापूर्ति एवं बिजली की स्थिति भी अच्छी नहीं है।’ उन्होंने कहा कि संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाओं में वृद्धि होने से भी काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि महीनों तक कर्फ्यू रहने और बाद में कोरोना वायरस के कारण स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद हो गए और शिक्षकों को वेतन नहीं मिला। उन्होंने कहा कि अगर वहां निर्वाचित सरकार होती तो कुछ समाधान निकल सकता था। उन्होंने हाल ही में स्थानीय चुनाव कराए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि विधानसभा के भी चुनाव कराए जाने चाहिए क्योंकि विधायक कानून निर्माता भी हैं।

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