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राजस्थान कांग्रेस का विवाद अब भारत जोड़ो यात्रा पर भी किसी न किसी रूप में छाया

[Edited By: Rajendra]

Monday, 28th November , 2022 12:49 pm

राजस्थान कांग्रेस का विवाद अब भारत जोड़ो यात्रा पर भी किसी न किसी रूप में छाया हुआ है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश जो यात्रा में लगातार राहुल गांधी के साथ चल रहे हैं वे भी कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को वह नहीं बोलना था जो वे बोल गए। बात रविवार की है जब यात्रा इंदौर में थी।

जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी को गहलोत और युवा नेता सचिन पायलट दोनों की ज़रूरत है, क्योंकि एक बहुत अनुभवी हैं और दूसरे युवा तुर्क हैं। फिर भी गहलोत को उन शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना था। मैं खुद वे शब्द सुनकर आश्चर्यचकित हूँ। जयराम रमेश ने राजस्थान विवाद को लेकर पहली बार कुछ बातें स्पष्ट कहीं जिनसे कुछ स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं।

भारत जोड़ो यात्रा पांच दिसंबर को राजस्थान में प्रवेश कर जाएगी। पर, इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच झगड़े ने कांग्रेस नेतृत्व की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसे में पार्टी नेतृत्व पर राजस्थान संकट को हल करने का दबाव बढ़ गया है। पार्टी ने अब सख्त फैसले लेने के भी संकेत दिए हैं। कांग्रेस भी इस झगड़े को ज्यादा टालने के हक में नहीं है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने साफ कहा कि दोनों के बीच रिश्ते सुधारने के लिए सुलह की कोशिश की जाएगी, पर बात नहीं बनी तो कठोर निर्णय भी लिए जा सकते हैं। संगठन सर्वोपरि है। राजस्थान में पार्टी वही निर्णय लेगी, जिससे संगठन मजबूत हो।

इंदौर में भारत जोड़ो यात्रा कैम्प में मीडिया से बात करते हुए जयराम रमेश ने कहा कि गहलोत और पायलट के झगड़े को लेकर पार्टी गंभीर है। दोनों नेताओं से मतभेदों को दरकिनार कर पार्टी हित में कदम उठाने की आग्रह किया जा रहा है। राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। इसलिए यात्रा पार्टी के लिए अहम हैं। जयराम ने दोहराया कि कांग्रेस को अशोक गहलोत और पायलट दोनों की जरूरत है। "

दरअसल, गहलोत ने कहा था कि पायलट ने 2020 में कांग्रेस के खिलाफ बगावत की थी। विधायकों को तोड़कर सरकार बनाने की कोशिश की थी, इसलिए उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता। इस बीच, यात्रा से जुड़ी तैयारियों का जायजा लेने को संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल 29 नवंबर को जयपुर पहुंच रहे हैं। बैठक में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट भी मौजूद रहेंगे। पार्टी की कोशिश है कि कर्नाटक की तरह राजस्थान में भी कांग्रेस का कुनबा पूरी तरह एकजुट नजर आए।कठोर निर्णय का सीधा-सा मतलब तो यही है कि वह गहलोत ख़ेमे के खिलाफ होगा। ये निर्णय किस स्तर के होंगे, यह अभी साफ़ नहीं है।

दरअसल, गहलोत ख़ेमे के विधायकों के इस्तीफ़े अब तक विधानसभा अध्यक्ष के पास रखे हैं। ऐसे में राजस्थान में सरकार का नेतृत्व बदलने का निर्णय लिया गया तो ये तमाम इस्तीफ़े स्वीकार भी किए जा सकते हैं। ऐसा हुआ तो सरकार समय से पहले गिर भी सकती है। कम से कम इस समय जब राज्य विधानसभा के चुनावों को पूरा एक साल भी नहीं बचा है, तब पार्टी अपनी सरकार गँवाना तो नहीं ही चाहेगी। गहलोत के दबंग बयान भी यही कह रहे हैं कि उनके पास विधायकों के इस्तीफ़ों का तुरुप का इक्का है, ऐसे में उनकी सरकार का कोई कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता। हालाँकि पार्टी नेतृत्व को गहलोत की यह दबंगई रास नहीं आ रही है, लेकिन आलाकमान ऐसी सूरत में कोई रिस्क नहीं लेना चाहता।

बहरहाल, इतना तय है कि राहुल गांधी की यात्रा के राजस्थान प्रवेश से पहले मामला सुलझाया नहीं गया तो विवाद तो बढ़ने ही वाला है। हो सकता है यह समाधान फ़िलहाल यह ही हो कि सचिन पायलट ख़ेमे को यात्रा गुजरने तक शांत रहने को कहा जाए और वे शांत रह भी जाएँ। हालाँकि जिस तरह के खुल्लम-खुल्ला बयान दिए जा रहे हैं, उनसे शांति की कोई गुंजाइश दिखाई तो नहीं देती, लेकिन उम्मीद तो की ही जा सकती है।

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के पास भारत जोड़ो यात्रा में जैसे ही सचिन पायलट दिखाई दिए, गहलोत ने बम फोड़ दिया था। दरअसल, गहलोत ने सचिन के बारे में एक इंटरव्यू में कहा था कि वो ग़द्दार हैं, उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री कैसे बनाया जा सकता है?

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