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मोदी सरकार पर कांग्रेस ने लगाया 12 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप

[Edited By: Rajendra]

Friday, 9th October , 2020 04:16 pm

कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार सरकार पर लौह अयस्क निर्यात में हजारों करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है। पार्टी ने कहा कि 2014 में सत्ता में आने के साथ ही सरकार की ओर से नियमों में किए गए बदलावों के चलते निजी क्षेत्र की कंपनियों ने अवैध रूप से लाखों करोड़ रुपये का लौह अयस्क निर्यात किया, जिसमें निर्यात शुल्क नहीं लिया गया। बतौर कांग्रेस प्रवक्ता जब मोदी सरकार 2014 में सत्ता में आई तो तमाम नियम कानून आनन-फानन में बदले गए।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के स्टील मंत्रालय द्वारा 2014 में नियमों में बदलाव कर लौह अयस्क खनन और निर्यात में निजी क्षेत्र को घुसने का मौका दिया गया, जबकि इसके पहले एमएमटीसी के पास ही सारा काम हुआ करता था। वीरवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि जब से यह सरकार सत्ता में आई है, हवाई अड्डों से लेकर बंदरगाहों तक, टेलीकोम से लेकर सार्वजनिक क्षेत्र की नवरत्न कंपनियों तक और यहां तक कि भारतीय रेल तक अपने दोस्तों पर लुटाने के लिए सदैव तत्पर दिखाई देती है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पवन खेड़ा ने कहा कि पिछले 6 वर्षों में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने कई ऐसे उदारण दिए हैं जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह सिर्फ अपने अमीर दोस्तों के लिए सत्ता में आए हैं। टेलिकम्यूनिकेशन, हवाई अड्डे, बंदरगाह और यहां तक कि भारतीय रेल को भी मोदी सरकार अपने दोस्तों पर लुटाने के लिए सदैव तैयार रहते हैं। केंद्र सरकार यह भूल जाती है कि देश के भीतर तमान संस्थाओं को निर्माण कुछ पूंजीपतियों ने नहीं बल्कि यहां के एक-एक नागरिक ने अपने खून-पसीने से किया है। जिस देश को हर देशवासी ने बनाया हो उसे चंद अमीरों के हाथों में बिकता देख दुख होता है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि 2014 से पहले लौह अयस्क (कच्चा लोहा) निर्यात केवल एमएमटीसी कर सकती थी। एमएमटीसी में 89 प्रतिशत सरकार की हिस्सेदारी है। यह एक सरकारी कंपनी है। उन्होंने बताया कि लौह अयस्क के निर्यात पर 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क भी लगता है। 2014 में मोदी सरकार के स्टील मंत्रालय ने चीन, ताइवान, दक्षिण कोरिया और जापान में लौह अयस्क निर्यात की अनुमति दे दी। साथ ही लौह अयस्क छर्रों के निर्यात पर निर्यात शुल्क हटा दिया।

खेड़ा ने कहा कि अनुमान के मुताबिक निजी कंपनियों ने 2014 से अब तक लगभग 40 हजार करोड़ रूपये का लौह अयस्क छर्रा निर्यात किया है। जबकि इनके पास निर्यात करने की अनुमति भी नहीं थी। निजी क्षेत्र की वे कंपनियां, जिन्हें अपने उपयोग के लिए लौह अयस्क की खदानें मिली थीं, उन्होंने मौके का फायदा लिया और स्टील मंत्रालय और केन्द्र सरकार के नाक के नीचे उम्दा गुणवत्ता वाले लौह अयस्क का निर्यात छर्रों के माध्यम से किया, वह भी बिना निर्यात शुल्क अदा किए।

उन्होंने आरोप लगाया कि इससे न केवल भारत के बेशकीमती प्राकृतिक संसाधन को लुटाया गया बल्कि 12,000 करोड़ रूपये का निर्यात शुल्क भी चोरी की गई। विदेशी व्यापार एक्ट 1992 के तहत इन कंपनियों पर लौह अयस्क छर्रों के गैर कानूनी निर्यात पर 2 लाख करोड़ का जुर्माना बनता है। उन्होंने सवाल किया कि इन कंपनियों को निर्यात की अनुमति किसने दी। जिन कंपनियों ने निर्यात किया, वे कौन हैं, उनके नाम उजागर किए जाएं। किसी सरकारी जांच एजेंसी ने इसकी जांच की। क्या इसके पीछे किसी मंत्री का हाथ है। क्या इस लूट की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लेंगे या किसी पर और पर डालेंगे।

 

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