केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ इस मुद्दे का समाधान खोजने के लिए चर्चा करने को तैयार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सितंबर में संसद द्वारा पारित किए गए तीन नए कानूनों से किसानों को लाभ होगा।
तोमर ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, "मैं [फार्म] यूनियनों से चर्चा की तारीख तय करने का आग्रह करता हूं। हम सुनने के लिए तैयार हैं।" किसान यूनियनों द्वारा कड़े रुख के बीच किसानों ने मंत्री की अपील के बाद कहा कि तीन कानूनों को रद्द करने से कम कुछ भी उन्हें अस्वीकार्य है।
किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार कानूनों को रद्द करने से इनकार करती है तो वह राष्ट्रीय राजधानी की घेराबंदी तेज कर देंगे और इस विरोध में लाखों किसानों शामिल होंगे।
हालांकि तोमर ने किसानों को आश्वस्त किया कि नए कानूनों का अधिनियम या न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, "हमारा रुख यह है कि केंद्र सरकार उन प्रावधानों पर खुली विचार-विमर्श के लिए तैयार है, जिन पर किसानों को आपत्ति है। नए कानून APMC या MSP को प्रभावित नहीं करते हैं। हमने किसानों को यह समझाने की कोशिश की है।''
किसानों की आशंका क्या है और सरकार उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए क्या योजना बना रही है, इस पर करीब से नज़र डालते हैं:
किसानों का डर: नए कानून मंडियों को समाप्त कर देंगे।
सरकार का कहना है: नए कानून से मंडियों और उससे बाहर दोनों जगहों पर फसल बेच सकेंगे। दोनों जगहों से टैक्स लिया जाएगा।
किसानों का डर: नए कृषि कानून एमएसपी शासन के लिए मौत की घंटी।
सरकार कहती है: एक लिखित आश्वासन दिया जाएगा कि एमएसपी की मौजूदा प्रणाली के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।
किसानों का डर: प्रभावशाली निजी खिलाड़ी बड़े लाभ कमाने के लिए किसान पर झपट्टा मारेंगे।
सरकार कहती है: संशोधन से राज्य सरकारों को और अधिक शक्ति मिलेगी,, वह मुक्त बाज़ारों पर निगरानी करेंगे।
किसानों की आशंका: अगर कुछ शर्तों को पूरा नहीं किया गया तो बड़े व्यापारी किसानों की जमीन पर कब्जा कर लेंगे।
सरकार कहती है: ज़मीन का हस्तांतरण, पट्टा या बिक्री की अनुमति नहीं होगी, अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए गए।