Trending News

उद्योगपतियों का 23 खरब रुपए का कर्ज किया माफ - राहुल गांधी

[Edited By: Rajendra]

Thursday, 31st December , 2020 12:55 pm

कोरोना वायरस महामारी के कारण देश को आर्थिक और सामाजिक तौर पर गहरी चोट लगी है। वहीं केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 36वें दिन भी जारी है। कोरोना महामारी और किसान आंदोलन जैसे कई मुद्दों को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं। इस बार राहुल गांधी ने ट्वीट कर दावा किया कि इस साल मोदी सरकार ने कुछ उद्योगपतियों का 23 खरब से ज्यादा रुपए का कर्ज माफ किया है।

कांग्रेस नेता ने ट्वीट करते हुए लिखा, '2378760000000 रुपए का कर्ज इस साल मोदी सरकार ने कुछ उद्योगपतियों का माफ किया। इस राशि से कोविड के मुश्किल समय में 11 करोड़ परिवारों को 20-20 हजार रुपए दिए जा सकते थे। मोदी जी के विकास की असलियत!'

 

इससे पहले कांग्रेस ने किसान संगठनों और मोदी सरकार के बीच नए दौर की बातचीत की पृष्ठभूमि को लेकर कहा था कि केंद्र को तीनों 'काले कृषि कानूनों' को निरस्त कर किसानों को नए साल की सौगात देनी चाहिए। कांग्रेस नेता ने बुधवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर देश के किसान विश्वास नहीं करते।

कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री के पूर्व के कुछ बयानों का हवाला देते हुए ट्वीट किया, 'हर बैंक खाते में 15 लाख रुपए और हर साल दो करोड़ नौकरियां। 50 दिन दीजिए, नहीं तो.... हम कोरोना वायरस के खिलाफ 21 दिनों में युद्ध जीतेंगे। न तो कोई हमारी सीमा में घुसा है और न किसी चौकी पर कब्जा किया है।' उन्होंने कहा, 'मोदी जी के 'असत्याग्रह' के लंबे इतिहास के कारण उन पर किसान विश्वास नहीं करते।'

वहीं राहुल गांधी ने मंगलवार को ट्वीट कर देश में नौकरियों जाने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार से सवाल किया था। राहुल गांधी ने लिखा था, 'युवा पर बेरोजगारी की मार, जनता पर महंगाई का अत्याचार, किसान पर 'मित्रों' वाले कानूनों का वार, यही है मोदी सरकार।' अपने ट्वीट के साथ ही राहुल ने एक पोस्ट भी शेयर किया है। इसमें सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे के आधार पर बताया गया है कि नवंबर, 2020 में देश में 35 लाख लोगों की नौकरियां छिन गईं। इस सर्वे में नौकरियों पर भारी संकट होने की बात है।

बता दें कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों और सरकार के बीच बुधवार को विज्ञान भवन में हुई छठे दौर की वार्ता में दो मुद्दों पर आपसी सहमति बन गई। एक विद्युत संशोधन विधेयक 2020 और दूसरा पराली जलाने पर दंड संबंधी पर्यावरण प्रबंधन आयोग अध्यादेश 2020।

एमएसपी खरीद को कानूनी सुरक्षा देने तथा तीनों कानूनों को रद्द करने के मुद्दे पर सरकार ने फिर से समिति गठित करने की पेशकश की है। जिसका किसानों ने फिर विरोध किया। सरकार ने अब इन बाकी मुद्दों पर 4 जनवरी को फिर से बैठक बुलाई है। इस दौरान कृषि मंत्री ने आंदोलन में शामिल बुजुर्गों और बच्चों को वापस घर भेजने की अपील किसानों से की है।

बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आज की बैठक बहुत ही सुखद वातावरण में संपन्न हुई। इससे दोनों पक्षों में अच्छे प्रकार के माहौल का निर्माण हुआ। उन्होंने कहा कि किसान नेताओं ने चार मुद्दे हमारे सामने रखे थे, दो विषयों पर आपसी रजामंदी हो गई है।

तोमर ने तीनों कानूनों को रद्द करने और एमएसपी को कानूनी सुरक्षा की किसान संगठनों की मांग पर कहा कि इस पर अभी चर्चा जारी है। 4 जनवरी को अगले दौर की वार्ता में यह जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि कृषि उपज की एमएसपी तथा बाजार भाव के अंतर के समाधान के लिए समिति गठन की पेशकश की गई है।

 

Latest News

World News