कानपुर-उत्तर प्रदेश के चर्चित विकास दुबे एनकाउंटर मामले में यूपी पुलिस को बड़ी राहत मिली है। पिछले साल विकास दुबे एनकाउंटर के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस पर कई सवाल खड़े किए गए थे। विकास दुबे एनकाउंटर को लोगों ने फर्जी बताया था। एनकाउंटर के सच को जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक जांच कमेटी गठित की थी। अब इस मामले में जांच कमेटी ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
सूत्रों के अनुसार, जस्टिस बीएस चौहान जांच आयोग को गैंगस्टर विकास दुबे और उसके पांच साथियों के एनकाउंटर में उत्तर प्रदेश पुलिस के गलत कार्यशैली का कोई सबूत नहीं मिला है। यूपी पुलिस के बयान खिलाफ कोई भी चश्मदीद गवाह सामने नहीं आया है, जो ये कहे कि पुलिस गलत कह रही थी। 8 महीनों की जांच के बाद रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यूपी पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नही मिले हैं। यानी विकास दुबे एनकाउंटर केस में यूपी पुलिस को क्लीन चिट दी गई है।
केस के वकील सौरभ सिंह भदोरिया के मुताबिक, गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर मामले में करीब 76 पुलिसकर्मियों की शिकायत गृहमंत्रालय से की गई थी, इसमें 6 आईपीएस अधिकारियों के नाम भी शामिल थे। शिकायत में ये भी कहा गया था कि इन्हीं अधिकारियों ने कई बार विकास दुबे और उसके साथी जयकांत वाजपेयी की मदद की थी। वहीं दूसरे पुलिसकर्मियों ने भी अलग-अलग लेवल पर विकास दुबे को बचाने की कोशिश की।
ये है पूरा मामला
यूपी में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी विकास दुबे का जुलाई 2020 में एनकाउंटर किया गया था। मध्यप्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार कर पुलिस उसे कानपुर लेकर जा रही थी। कानपुर पहुंचने से दो किमी पहले ही यूपी एसटीएफ की गाड़ी पलट गई थी, जिसका फायदा उठाकर विकास दुबे ने वहां से भागने की कोशिश की, पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए विकास दुबे पर गोली चला दी थी, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। इसके बाद 76 पुलिसकर्मियों पर विकास दुबे की समय-समय पर मदद करने का आरोप लगा। इस मामले की जांच की जांच की जा रही थी।