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एसएनके मसाला पर्दे उठ रहे हैं 400 करोड़ के कारोबार का अता पता नही,115 बोगस कम्पनियां

[Edited By: Vijay]

Saturday, 31st July , 2021 12:34 pm

यूं तो पानमसाला से जुड़े तमाम अवैध काम हम पहले भी सुन चुके है पर एसएनके कम्पनी के रोज रोज के नये खुलासे ये साबित कर रहे है कि अभी और भी पर्दे खुलने बाकी है ..

कानपुर में एसएनके पान मसाला बनाने वाले शहर के कारोबारी नवीन कुरेले और प्रवीण कुरेले की 115 बोगस कंपनियां सामने आई हैं। इन कंपनियों के जरिये एसएनके समूह का 400 करोड़ रुपये से अधिक का अघोषित कारोबार पकड़ा गया है। इन कंपनियों में 34 बैंक खातों के जरिये लेनदेन होता था। प्रदेश में यह अब तक की सबसे बड़ी कर चोरी का मामला हो सकता है। इस वजह से आयकर अफसरों ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है। अब टीमें कानपुर, दिल्ली, कोलकाता, गाजियाबाद, नोएडा के 31 ठिकानों पर जांच कर रही हैं।

बोगस कंपनियों का डाटा खंगालने के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों की टीम लगाई गई है। प्रधान आयकर निदेशक (जांच) राकेश गोयल के निर्देश पर आयकर विभाग की टीमों ने बुधवार सुबह एसएनके पान मसाला के मालिक नवीन कुरेले और प्रवीण कुरेले के कानपुर स्थित आवास, गोदाम, फैक्ट्री के अलावा दिल्ली में सात व उरई, नोएडा में एक-एक ठिकाने पर छापामारी की थी। गुरुवार को ही ये साफ हो गया था कि कारोबारियों ने बोगस कंपनियों के जरिये काली कमाई बनाई है।

शुक्रवार को सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) की ओर से जारी बयान में इसकी पुष्टि कर दी गई। बताया गया कि बोगस कंपनियों के जरिये अरबों रुपये के लोन आपस में दिखाए गए और काली कमाई को अलग-अलग प्रोजेक्ट में लगा दिया गया। खास बात ये सामने आई कि इन बोगस कंपनियों में जिन लोगों को निदेशक बनाया गया, उन्हें कारोबार के तौरतरीके और बैंक में हुए लेनदेन की कोई जानकारी नहीं है।

ज्यादातर के आयकर रिटर्न नहीं जा रहे थे, जिनके जा रहे थे, वह भी बेहद कम या सीमित थे। समूह के मालिकों ने भी माना है कि उन्होंने डमी निदेशक तैयार किए। जांच टीम में संयुक्त निदेशक विजयानंद भारती, उपनिदेशक विजय कुमार, अंकित तिवारी, राघव गुप्ता, गौरव गर्ग आदि शामिल रहे।

आयकर विभाग की जांच में कारोबारियों के अलग-अलग प्रतिष्ठानों से सात किलो सोना और 52 लाख रुपये कैश मिला है। इसके अलावा दिल्ली स्थित रियल इस्टेट कारोबार में तीन साल में 226 करोड़ और पान मसाला कारोबार में 110 करोड़ रुपये लगाए गए हैं। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद में रियल इस्टेट के सात बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इसमें बड़े पैमाने पर काली कमाई खपाई गई है। एक कंपनी एसीई के साथ पार्टनरशिप मिली है। अब इस कंपनी के ठिकानों पर जांच शुरू कर दी गई है। 

फ्लैट बिक्री में कैश ज्यादा लेते, कम दिखाते 

जांच में पता चला है कि रियल इस्टेट कारोबार में जो फ्लैट बेचे जाते थे, उसमें क्रेता से कैश अधिक लिया जाता था और उसे कागजों पर कम दिखाया जाता था। इस पर आयकर रिटर्न में छूट लेते थे। इसके बाद इस रकम को बोगस कंपनियों में कर्ज के तौर पर दिखाते थे। इससे आयकर से दोतरफा लाभ भी उठा रहे थे।

80 करोड़ की खरीद डाली खाद

बोगस कंपनियों में लगे रुपयों को एक नंबर दिखाने के लिए अलग-अलग कंपनियों के जरिये 80 करोड़ रुपये की खाद फर्जी तरीके से खरीदी गई। यह भी केवल कागजों तक ही सीमित था। 

डाटा एनालिसिस में मिल रहीं बोगस कंपनियां

फोरेंसिक टीम की मदद से 115 बोगस कंपनियों की पड़ताल विभाग के अधिकारी कर पाए। इनमें से ज्यादातर कंपनियां कोलकाता, दिल्ली में हैं। इनके बोगस एकाउंट से करोड़ों का लेनदेन कर्ज के रूप में दिखाया गया। अभी भी टीमें जांच कर रही हैं।

 

 

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