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IG रेंज कानपुर ने तैयार की गैंगस्टर विकास दुबे के मददगार 37 पुलिसकर्मियों की लिस्ट

[Edited By: Arshi]

Thursday, 19th August , 2021 01:51 pm

 

2020 में कानपुर में हुए बिकरू कांड के मुख्य आरोपी और एनकाउंटर में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे के मददगार रहे पुलिसकर्मियों की शिनाख्त हो चुकी है और एसआईटी जांच के बाद खाकी को दागदार करने वालों की सजा भी तय हो गई. गैंगस्टर के मददगार के रूप में 37 पुलिसकर्मी जांच में दोषी पाए गए जिसमें 1996 से लेकर 2020 तक वे सभी पुलिसकर्मी शामिल हैं, जिन्होंने कहीं न कहीं विकास दुबे को कानून के शिकंजे से निकालने का काम किया या फिर उसके काले कारनामों पर पर्दा डाला.
सात सदस्यीय एसआईटी जांच की अगुवाई कर रहे आईजी रेंज मोहित अग्रवाल ने बताया कि इस घटना के बाद तत्कालीन डीआईजी अनंत देव तिवारी समेत 11 सीओ को भी दोषी पाया गया. इनकी जांच शासन स्तर से हो रही है. यहां पर जो सूची तैयार की गई है, उसमें इंस्पेक्टर से लेकर सिपाही पद के लोग शामिल हैं. कार्रवाई होने के बाद इसकी रिपोर्ट एडीजी जोन के जरिए शासन को भेजी जाएगी.
कार्रवाई की जो सूची तैयार की गई है उसमें 37 पुलिसकर्मी शामिल हैं, जिनमें से दो की मौत हो चुकी है, जबकि चार रिटायर हो चुके हैं. जांच में एसआई चौबेपुर अजहर इशरत, वीरपाल सिंह, विश्वनाथ मिश्रा, सिपाही अभिषेक कुमार का दोष सिद्ध हो चुका है. इन्हें नोटिस जारी किया गया है. सिपाही राजीव कुमार को मिस कंडक्ट दिया गया है. वहीं पूर्व एसओ चौबेपुर विनय कुमार तिवारी, इंचार्ज केके शर्मा के बयान न होने के कारण फैसला नहीं लिया गया. एसआई थाना कृष्णा नगर लखनऊ अवनीश कुमार सिंह की भी जांच जारी है.
पूर्व एसआई चौबेपुर दीवान सिंह, पूर्व हेड कांस्टेबल चौबेपुर लायक सिंह, सिपाही विकास कुमार और कुंवरपाल को मिस कंडक्ट दिया गया. इंस्पेक्टर बजरिया राममूर्ति यादव को नोटिस जारी किया गया. थाना कृष्णा नगर लखनऊ के पूर्व एसओ अंजनी कुमार पांडेय की जांच जारी है.
विकास दुबे के जो मददगार रहे हैं, उनमें से तत्कालीन थाना इंचार्ज एसके वर्मा और थाना इंचार्ज चौबेपुर संजय सिंह की मृत्यु हो चुकी है. इसके अलावा पूर्व थाना इंचार्ज बजरिया काजी मोहम्मद इब्राहिम, पूर्व इंचार्ज चौबेपुर लालमणि सिंह, वेद प्रकाश, तत्कालीन थाना इंचार्ज रूरा धर्मवीर सिंह, पूर्व एलआईयू बीट प्रभारी कल्याणपुर सुरेश कुमार तिवारी रिटायर हो चुके हैं. उसके बाद भी इनकी जांच जारी है. इनमें 1996 से लेकर 2020 तक वे सभी पुलिसकर्मी शामिल है जिन्होंने कहीं न कहीं विकास दुबे को कानून के शिकंजे से निकालने का काम किया या फिर उसके काले कारनामों पर पर्दा डाला है.

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