यूपी का कानपुर शहर इन दिनों हर्षिता के लिए न्याय मांग रहा है। अखबार से लेकर टीवी चैनल और सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक जस्टिस फॉर हर्षिता की गूंज है। हर्षिता की मौत 7वीं मंजिल से गिरकर हुई थी। ससुरालवाले इसे आत्महत्या करार दे रहे हैं लेकिन मामला कुछ गड़बड़ है तभी तो इतना हंगामा मचा है।
तिलक नगर के एल्डोराडो अपार्टमेंट में सातवीं मंजिल पर बने फ्लैट में रहने वाले धागा कारोबारी उत्कर्ष अग्रवाल की पत्नी हर्षिता की नीचे गिरकर मौत हो गई थी। हर्षिता के पिता ने दहेज में 25 लाख रुपये न देने पर दामाद उत्कर्ष, उसके पिता व उसकी मां रानू अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने सास, ससुर और पति को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। पुलिस को जांच में कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं, जो हत्या की ओर इशारा कर रहे हैं।
हर्षित को इंसाफ दिलाने के लिए मार्च में ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेंस ऑर्गेनाइजेशन की अध्यक्ष सुभाषिनी अली भी शामिल हुईं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए कानून तो बने हैं लेकिन उनका सख्ती से पालन नहीं कराया जा रहा है। इसी वजह से आज भी घरों के अंदर महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। अब जरूरत है कि महिला उत्पीडऩ के मामलों के लिए जिलों फास्ट ट्रैक कोर्ट बनें ताकि ऐसे मामलों का तेजी से निस्तारण हो सके। उन्होंने कहा कि देखने में आता है कि घरेलू हिंसा के मामलों में पुलिस भी ढुलमुल रवैया अपनाती है और काउंसलिंग में भेजकर रफा.दफा करने की कोशिश की जाती है। अगर महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं तो उनका उत्पीडऩ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
धागा कारोबारी की 28 वर्षीय पत्नी हर्षिता अग्रवाल की मौत को दुर्घटना करार देने के प्रयास में जुटे सास-ससुर की झूठ की पोल सीसीटीवी फुटेज खोल रहे हैैं। अपार्टमेंट की सातवीं मंजिल से गिरकर हर्षिता की मौत के बाद उसकी सास के रवैये ने हकीकत को उजागर कर दिया। साक्ष्य जुटा रही पुलिस के सामने अब सच्चाई परत-दर-परत खुलती जा रही है।
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो सच सामने आया। हर्षिता की सास रानू अग्रवाल ने पुलिस को दिए बयान में कहा था कि बहू खिड़की की सफाई करते वक्त सातवीं मंजिल से गिर गई थी। इस हादसे में उसकी मौत हो गई। लेकिन, सीसीटीवी फुटेज बताते हैैं कि खिड़की से नीचे गिरी हर्षिता के हाथ में सफाई का कोई कपड़ा नहीं था। उसके हाथ में पर्स था और कार की चाबी भी। घटना के बाद जब सास नौकरानी के साथ नीचे आई तो उसने हर्षिता को अस्पताल पहुंचाने के बजाय सबसे पहले यही चाबी व पर्स उठाई और चुपचाप सातवें माले के अपने फ्लैट में रख आई। तीन मिनट बाद वहां से लौटी भी तो करीब 12 मिनट तक गैलरी में इधर-उधर टहलती रही। बाद में, जब बेटा लौटा तो दहाड़ें मारकर रोना शुरू किया।
एल्डोराडो अपार्टमेंट में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज इतनी पुष्टि तो करते हैैं कि हर्षिता की मौत कोई हादसा नहीं थी। दहेज हत्या के इल्जाम में जेल पहुंचा पति व सास-ससुर खुद को बचाने के लिए झूठ दर झूठ बोल रहे थे। सास रानू ने पुलिस से कहा था कि बहू खिड़की पर कबूतरों की गंदगी साफ कर रही थी कि नीचे गिर गई। लेकिन, अपार्टमेंट में लिफ्ट के पास व मेन गेट के सामने लगे कैमरों के फुटेज में दिखता है कि हर्षिता जब गिरी तो हाथ में पर्स व कार की चाबी थी। पर्स व कार की चाबी लेकर कोई खिड़की साफ करता है क्या? हर्षिता के 12:30 बजे नीचे गिरने के दो मिनट बाद ही सास व नौकरानी नीचे आई थीं। 12.36 बजे सास ने हर्षिता के पास पड़ी पर्स व चाबी उठाई और लौट गईं। न कोई शोर मचाया, न ही हर्षिता को अस्पताल ले जाने के लिए किसी से मदद ही मांगी। तीन मिनट बाद पर्स रखकर लौटी तो परिजनों को फोन किया।
क्यों गायब किया पर्स? फर्श पर पड़ी बहू को बचाने के लिए अस्पताल ले जाने के बजाय सास ने पर्स को क्यों उठाया? क्या उसमें बहू की जान से ज्यादा कीमती चीज थी जो उसे फ्लैट में रखना ज्यादा जरूरी था? सीसीटीवी फुटेज मेें यह भी साफ है कि सास अपनी बेटी के जरिये यह पर्स उसकी सास के पर्स में रखवा रही हैै। पुलिस इन तथ्यों की कडिय़ां जोड़ेगी तो उसे कई साक्ष्य जरूर मिलेंगे, जो हर्षिता की मौत के गुनहगारों को सजा दिलाने में मदद करेंगे।
फुटेज में रानू 12.35 बजे पति सुशील को फोन करती दिखती है। इसकी पुष्टि सुशील ने भी की थी कि खबर मिलते ही फैक्ट्री के अंदर मौजूद बेटे उत्कर्ष को बुलाया और तुरंत हर्षिता के पिता पदम अग्र्रवाल को फोन किया। फिर, फैक्ट्री से चले। पदम अग्र्रवाल के मुताबिक उन्हें 12.43 बजे सुशील ने फोन किया था। पर, फुटेज में 12.53 बजे सुशील व उत्कर्ष अपार्टमेंट पहुंचे दिखते हैैं। हर्षिता के परिजन सवाल करते हैैं कि मंधना से अपार्टमेंट तक 10 मिनट में कैसे पहुंच गए?
नौकरानी शकुंतला व आरोपितों के करीबी दोस्त भी शक के घेरे में हैैं। नौकरानी ने कहा था कि घटना के काफी देर बाद नीचे गई थी, जबकि फुटेज में घटना के तुरंत बाद 12.32 बजे सास रानू के साथ लिफ्ट से उतरती दिख रही है। एक शख्स के चुप कराने पर वह ज्यादा बोल भी नहीं रही। हर्षिता के पिता का आरोप है कि घटना में पूरा परिवार शामिल है। वर्ना ट्रैफिक के बीच कोई कार से 10 मिनट में मंधना से एलनगंज कैसे आ सकता है?
बहन गीतिका बताती हैैं कि हर्षिता की सास सुबह नौ बजे भी अपार्टमेंट से नीचे टहलती रही थीं, जबकि पुलिस से बयानों में कहा कि वह दोपहर से पहले नीचे ही नहीं आईं। हर्षिता के पिता ने एफआइआर में कहा ही है कि दहेज के लिए बेटी को उसके पति उत्कर्ष, सास रानू, ससुर सुशील व ननद-ननदोई ने सुनियोजित तरीके से मार डाला। आरोप है कि 25 लाख रुपये नहीं देने पर ऐसा किया गया। हालांकि, सोमवार को दिए बयान में पिता ने ननद-ननदोई को निर्दोष बता दिया था।