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संदिग्ध हालात मे हुये नरेन्द्र गिरी महाराज के निधन पर बहुत से सवाल हैं जिनका जवाब मिलना अभी बाकी

[Edited By: Vijay]

Tuesday, 21st September , 2021 12:57 pm

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि सोमवार को संदिग्ध हालत में फांसी पर लटके मिले। बांघबरी मठ स्थित एक कमरे में उनका शव फंदे पर लटका मिला। मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें अपमान से आहत होकर कदम उठाने समेत अन्य बातें लिखी हैं। पुलिस अफसर इसे खुदकुशी बता रहे हैं लेकिन बहुत से सवाल हैं जिनका जवाब मिलना अभी बाकी है। अफसर देर रात तक जांच पड़ताल में जुटे रहे।

बाघंबरी गद्दी मठ और निरंजनी अखाड़े की अकूत धन-संपदा और वैभव को लेकर विवादों का रिश्ता पुराना रहा है। मठ और अखाड़े की सैकड़ों बीघे जमीनें बेचने, सेवादारों और उनके परिवारीजनों के नाम मकान, जमीन खरीदने को लेकर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि और उनके करीबी शिष्य आनंद गिरि के बीच विवाद लंबे समय से रहा है। ऐसे ही विवादों को लेकर निरंजनी अखाड़े के मठ में दो महंतों की संदिग्ध मौतें पहले भी हो चुकी हैं। अब नरेंद्र गिरि की मौत को लेकर भी संपत्ति विवाद की गहरी जड़ें हर किसी का ध्यान खींच रही हैं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और बाघंबरी गद्दी मठ के महंत नरेंद्र गिरि से उनके शिष्य योग गुरु आनंद गिरि के बीच विवाद बीते मई महीने में बाघंबरी गद्दी मठ की 80 फीट चौड़ी और 120 फीट लंबी गोशाला की भूमि की लीज निरस्त कराए जाने के बाद सामने आया। आनंद गिरि के नाम लीज पर दी गई इस जमीन पर पेट्रोल पंप प्रस्तावित किया गया। कुछ दिन बाद ही महंत नरेंद्र गिरि ने यह कहते हुए लीज निरस्त करा दी कि वहां पेट्रोल पंप नहीं चल सकता।

महंत नरेंद्र गिरि ने यह भी तर्क दिया था कि उस जमीन पर मार्केट बसा दिया जाएगा तो मठ की आमदनी बढ़ेगी। जबकि आनंद गिरि का कहना था कि गुरुजी ने उस जमीन को बेचने के लिए लीज निरस्त कराई थी। बाघंबरी मठ की करोड़ों रुपये की इस जमीन को लेकर गुरु-शिष्य के बीच घमासान इस कदर मचा कि निरंजनी अखाड़े और बाघंबरी मठ से आनंद गिरि को निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद आनंद गिरि ने भागकर हरिद्वार में शरण ली।

इतना ही नहीं, हरिद्वार में आनंद गिरि की ओर से बनवाए जा रहे आश्रम को भी वहां सील करवा दिया गया। उनके सुरक्षा गार्ड वापस ले लिए गए थे। इससे पहले भी 40 करोड़ रुपये की बाघबंरी गद्दी मठ की सात बीघे भूमि बेचे जाने को लेकर हुए विवाद को लेकर वहां राइफलें तन चुकी हैं। इतना ही नहीं मांडा और राय बरेली में भी निरंजनी अखाड़े की करोड़ों की भूमि बेचे जाने को लेकर विवाद रहा है।

पहली बार 2005 में बाघंबरी गद्दी मठ से जुड़े आनंद गिरि

योग गुरु आनंद गिरि पहली बार वर्ष 2005 में बागंबरी गद्दी मठ से जोड़े गए। वर्ष 2000 में आनंद ने महंत नरेंद्र गिरि को अपना गुरु स्वीकार किया था। हरिद्वार स्थित निरंजनी अखाड़े में 2003 में आनंद गिरि को पहली बार थानापति बनाकर के बड़ोदरा अखाड़े के मंदिर में जिम्मेदारी दी गई। 2004 नरेंद्र गिरि मठ बाघंबरी गद्दी के महंत बने।

 

 

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