उत्तर प्रदेश के कानपुर हुए बिकरू कांड को लेकर गठित एसआईटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट सौंप दी है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, एसआईटी ने 9 बिंदुओं को आधार बनाकर तैयार की गई ये जांच रिपोर्ट करीब 3100 पन्नों की है। एसआईटी की अध्यक्षता कर रहे अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी ने अपनी 3100 पन्नों की रिपोर्ट में कहा कि विकास दुबे के साथ लगातार संपर्क में रहने और उसकी मदद करने के लिए इन अधिकारियों को दंडित किया जाना चाहिए। साथ ही विकास दुबे की 150 करोड़ रुपए की संपत्ति की प्रवर्तन निदेशालय से जांच की सिफारिश भी की है।
कानपुर के बिकरू गांव में दो जुलाई को 8 पुलिसवालों की हत्या के मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। अधिकारियों के मुताबिक, एसआईटी ने गैंगस्टर विकास दुबे को उसका काला साम्राज्य बनाने में मदद करने के लिए पुलिस, ग्रामीण विकास, खाद्य और राजस्व विभागों के 90 कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। एसआईटी की अध्यक्षता कर रहे अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी ने अपनी 3100 पन्नों की रिपोर्ट में कहा कि विकास दुबे के साथ लगातार संपर्क में रहने और उसकी मदद करने के लिए इन अधिकारियों को दंडित किया जाना चाहिए।
एसआईटी द्वारा अक्टूबर में सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया कि ये अधिकारी विकास दुबे के खिलाफ शिकायतों को नहीं सुनते थे। यही नहीं फर्जी कागजातों के आधार पर उसे और उसके गुर्गों को हथियार, सिम कार्ड और पासपोर्ट मुहैया कराते थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, जिन्होंने दुबे के गिरोह को लाइसेंसी हथियार और गोला-बारूद खरीदने में मदद की और उन्हें गैरकानूनी तरीके से इसे हासिल करने की अनुमति दी।
एसआईटी ने सिफारिश की है कि ईडी गैंगस्टर और उसके एकाउंटेंट के स्वामित्व वाली 150 करोड़ रुपए की 'अवैध' संपत्ति की पूरी तरह से जांच करे। ये भी कहा गया कि उन सभी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए, जिन्होंने दुबे और उसके गिरोह की मदद की थी। बता दें, योगी सरकार ने नवंबर में तत्कालीन एसएसपी अनंत देव को निलंबित कर दिया था। एसआईटी जांच के बाद दुबे और पुलिस के बीच सांठगांठ की बात सामने आई थी।