भारत में त्योहार का मौसम शुरू हो गया हैं. कोरोना संक्रमण की संख्या में भले ही कमी आ रही हो लेकिन इसको लेकर सचेत रहने की जरूरत अब भी है. आने वाले समय में एक के बाद एक त्योहारों का तांता लगा है. लोग भी प्रियजनों से मिलने की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि लॉकडाउन के कारण लोग पहले ही एक-दूसरे से दूर रहे हैं. हालांकि त्योहारों को देखते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली सहित कई राज्यों के एम्स के निदेशकों ने लोगों से विशेष सतर्कता बरतने की अपील की और कोरोना संक्रमण को दावत ना देने के भी सख्त निर्देश दिए.
एम्स नई दिल्ली के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोरोना वायरस की बीमारी अभी खत्म नहीं हुई है. हमें अधिक सतर्क रहने की जरूरत है. अधिक जरूरी नहीं हो तो घर से बाहर निकलने से बचें. जब भी घर से बाहर निकलें, मास्क लगाकर ही निकलें, हाथ धोते रहें, जब किसी चीज को स्पर्श करें, तब सैनिटाइजर का उपयोग जरूर करें. त्यौहार मनाते हुए इस साल जो कमियां रह जाएंगी, उन्हें अगले साल पूरी कर लेंगे. अभी स्वास्थ्य जरूरी है, मित्र और प्रियजनों से वर्चुअली मिलें. फोन पर या सोशल मीडिया के जरिए बात कर लें.
उत्तर प्रदेश के एम्स रायबरेली निदेशक डॉ. अरविंद राजवंशी ने कहा कि यदि हम सभी सख्ती से कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करें तो निश्चित रूप से महामारी की किसी भी लहर को रोका जा सकता है. इसके लिए लोगों को कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना होगा, सही तरीके से मास्क पहनना, हाथों को लगातार साफ करते रहना या सैनेटाइज करते रहना, भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना. सामाजिक दूरी का पालन करना आदि कोविड से बचाव के लिए प्राथमिक स्तर की कोशिशें हैं. सरकार सभी तक समान रूप से वैक्सीन पहुंचाने का प्रयास कर रही है. अगर लोग अपनी आदतों में कुछ चीजों को शामिल कर लें, तो कोरोना की अन्य लहरों को रोका जा सकता है. आप महामारी को भगा सकते हैं. आखिर यह कैसे संभव है?
वहीं एम्स भोपाल के निदेशक डॉ सरमन सिंह ने लोगों को हिदायत देते हुए कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए उपचार दिशानिर्देशों का समान रूप से पालन किया जाए. हमें बीमारी की गंभीरता, विभिन्न निवारक उपायों और टीकाकरण के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए पंचायतों, ग्राम सभाओं और गांवों में समुदाय के प्रभावशाली लोगों को जोड़ने की जरूरत है. इन स्थानीय निकायों को भविष्य की आपदाओं को कम करने के लिए स्थानीय स्तर पर बुनियादी ढांचे के विकास पर भी जोर देना चाहिए. एम्स रायपुर, छत्तीसगढ़ के निदेशक और सीईओ डा. नितिन एम नागरकर बता रहे हैं कि कोविड की दूसरी लहर बहुत गंभीर थी और इसने राज्य को बुरी तरह प्रभावित किया, मार्च 2021 की शुरूआत में 6.5 लाख केस देखे गए और बहुत से लोगों की जान चली गई।. संक्रमण की उस स्थिति में मृत्यु दर 1.4 प्रतिशत थी. संक्रमण की दूसरी लहर का असर ग्रामीण क्षेत्र पर भी दिखा, सही मायने में संक्रमण की दृष्टि से शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में अधिक अंतर नहीं देखा गया.
संक्रमण शहर से गांव, छोटी जगह से बड़े कस्बे और शहर से गांवों तक ऐसी जगहों पर फैल गया जहां लॉकडाउन होने के बाद भी पाबंदियों का सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा था. इसके साथ ही श्रमिकों का शहर से गांव की ओर पलायन भी ग्रामीण इलाकों में कोविड के मामले बढ़ाने की बड़ी वजह बना. लोग अब संक्रमण के प्रति जागरूक हो रहे हैं, लेकिन उसे उन्हें अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करना होगा. हम यदि महामारी को नियंत्रित करना चाहते हैं तो हमें कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना ही होगा और यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है.