ऐसा कोई सगा नहीं जिसको हमने ठगा नहीं जैसे श्लोगन के बल पर देश व विदेश तक पहचान बनाने वाले ठग्गू के लड्डू प्रष्ठिान के मालिक प्रकाश पांडेय का आज अचानक निधन हो गया। पिछले कुछ दिनों से काफी बीमार चल रहे थे। जिस कारण परिजनों ने नर्सिग होम में एडमिट कराया था। आज सुबह अचानक उनकी तबीयत बिगड गयी और उनका निधन हो गया। निधन की सूचना जैसे ही शहर में फैली पूरा शहर अवाक रह गया। चूकिं प्रकाश पांडेय का राजनीतिक जीवन भी रहा है। इसलिए पूरा शहर उनको जानता था। अपने मित्रों के साथ कचहरी के चेतना चौराहे पर बैठना उनका रूटीन था। प्रकाश पांडेय अपने जीवन काल में काफी मेहनती इंसान थे। जिसका परिणाम यह रहा है कि उनका बडे चौराहा के निकट वाला प्रतिष्ठान शहर से लेकर मुंबई तक अपनी मिठास की धमक बनाए था। अपनी दुकान के नाम के कारण यह बहुत ही चर्चित थे। चर्चा में रहने के कारण बंटी-बबली की शूटिग में भी यह प्रतिष्ठान उभरकर आया था। वर्तमान समय में पांडेय ने अपनी कडी मेहनत से प्रतिष्ठान की कई शाखाएं अन्य राज्यों में भी खोल दी थी। पांडेय जी के लड्डू के मिठास के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से लेकर बिग बी तक फैन थे।
कानपुर को स्वाद की सौगात देने वाले ‘ठग्गू के लड्डू’ के मालिक प्रकाश पाण्डेय नहीं रहे।लेकिन वह शहर को एक ऐसी मिठास देकर गए हैं जिसकी शान में कसीदे पढ़े जाते हैं। पाण्डेय जी के मित्र एडवोकेट संदीप शुक्ला बताते है कि उनके मित्र आदर्शों पर चलने वाले थे। उनको गांधी जी की बात याद थी कि शक्कर मीठा जहर है और लड्डू व कुल्फी में शक्कर का भरपूर उपयोग होता है। उन्होंने धंधे में इसे बेईमानी माना और अपने आप को “ठग्गू ” कहना शुरू कर दिया
चाहे भगवान को प्रसाद चढ़ाना हो, किसी का स्वागत-सत्कार करना हो या कोई उत्सव हो, लड्डू के बिना यह सब अधूरा रह जाता था. आज के जमाने में भी भगवान को भोग लगाने से लेकर शादी-ब्याह की हर रस्म लड्डू के बिना अधूरी है. अगर हम लड्डू की बात करें तो जुबां पर कानपुर के ठग्गू के लड्डू का नाम आता है. यहां के लड्डूओं के दीवाने अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन भी हैं।
ठग्गू के लड्डू’ की दुकान के मालिक प्रकाश पांडेय का मानना था बदनाम वही होता है, जिसका नाम होता है। बदनामी उसी की होती है, जो फुटपाथ पर बिकती है। महलों में बिकने वाले बदनाम नहीं होती। यही खासियत है उनकी कुल्फी की। इसके लिए उनकी दुकान पर दूर-दराज से ग्राहक आते हैं और बड़े चाव से इसका स्वाद लेते हैं। उनके पिता का एक स्लोगन सबसे ज्यादा चर्चित हुआ वह है “ऐसा कोई सगा नहीं,
जिसको हमने ठगा नहीं”। मिठाई हो या कुल्फी स्वाद के मामले में पूरे शहर में इसका कोई जोड़ नही। खानेवालों के पेट भरते नही और वे उंगलियां चाटते थकते नहीं।
प्रतिष्ठान की स्थापना प्रकाश पांडेय के पिता रामअतौर पांडेय ने की थी। प्रतिष्ठान का हाइलाइटेड नाम भी पिता द्वारा दिया गया था। जिसे अपनी मेहनत के बल पर प्रकाश ने विदेशों तक पहंुचा दिया था। परिजनों की मानें तो यह दुकान लगभग पचास साल पुरानी है। इस दुकान में मिलने वाले लड्डू पूरी तरह से देशी होते हैं. इसमें देशी आयटम मिक्स रहते हैं. इसे सूजी, खोया, गोंद ,चीनी ,काजू ,इलायची बादाम ,पिस्ता से तैयार किया जाता है. ये दुकान इसलिए भी खास है क्योंकि यहां पर लड्डू बनाकर स्टोर नही किए जाते हैं. जितना भी लड्डू बनता है वो रोजाना बिक जाता है। इस दुकान के बाहर मिलती है बदनाम कुल्फी, इसका नाम भी अजीब है और इसकी टैगलाइन. भले ही इसका नाम बदनाम हो पर ये लोगों की जुबां पर चढ़ जाती है. टैग लाइन- मेहमान को चखाना नहीं टिक जाएगा, चखते ही जेब और जुबां की गर्मी हो जाएगी गायब. केसर पिस्ता की कुल्फी जमाई नहीं जाती है बल्कि नमक और बर्फ के बीच हैंड जर्न की जाती है जिससे इसका टेस्ट और टैक्चर फ्रोजन कुल्फी जैसा होता. ये शुद्ध दूध से बनाई जाती है।