उत्तराखंड में लमखागा पास की ओर ट्रेकिंग के दौरान रास्ता भटकने वाले 17 में से 12 ट्रेकर्स की मौत की पुष्टि हो गई है। भारतीय वायु सेना, भारतीय सेना और राज्य आपदा प्रबंधन प्रतिक्रिया टीमों के साथ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू करने के बाद, बचाव टीमों द्वारा बर्फ में दबे ट्रेकर्स के शव बरामद किए गए। मरने वाले 12 ट्रेकर्स में से नौ पश्चिम बंगाल के हैं और एक दिल्ली का है। दो और लोगों की पहचान अभी नहीं हो पाई है। ट्रेकिंग के दौरान चरम मौसम के बीच 18 अक्टूबर को ट्रेकर्स स्पष्ट रूप से अपना रास्ता खो चुके थे। 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित लमखागा दर्रा, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर को उत्तराखंड के हरसिल से जोड़ता है और ट्रेकर्स के लिए एक लोकप्रिय मार्ग है।
उत्तराखंड में इस सप्ताह की शुरुआत में खराब मौसम के बाद बड़े पैमाने पर बचाव प्रयासों के बीच शुक्रवार को मरने वालों की संख्या बढ़कर 68 हो गई। हरसिल और लमखागा दर्रे के पास दो ट्रेकिंग समूहों के लापता सदस्यों को खोजने के लिए बचाव अभियान जारी है। हर्सिल में लापता हुए 11 ट्रेकर्स के एक समूह में से दो को बचा लिया गया है और दो लापता हैं। उत्तराखंड में पिछले रविवार की रात से शुरू होकर लगभग तीन दिनों तक भारी बारिश हुई, जिससे बाढ़, भूस्खलन और विशेष रूप से कुमाऊं की पहाड़ियों में बड़े पैमाने पर संपत्ति का नुकसान हुआ। इसके बाद से बारिश थम गई है। इसके अलावा दक्षिण कश्मीर के अवंतीपोरा जिले में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में तीन लोगों की मौत हो गई और एक व्यक्ति घायल हो गया। मृतक व्यक्ति कालाकोट के रहने वाले थे। घायल खतरे से बाहर है और प्रशासन ने क्षेत्र के अन्य परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है।
शनिवार सुबह से ही मौसम ने करवट बदली, जिसके चलते कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की तमाम ऊंची चोटियों पर बर्फबारी शुरू हो गई। मौसम विज्ञान केंद्र द्वारा जारी बर्फबारी की चेतावनी को देखते हुए लाहौल स्पीति प्रशासन ने घाटी में पर्यटकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है, ताकि किसी तरह की अनहोनी न हो।हिमाचल प्रदेश प्रशासन ने किसी भी आपदा से निपटने के लिए नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किए हैं। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि आपदा के समय कंट्रोल रूम नंबर 94594-61355 और 89880-92298 पर संपर्क कर सकते हैं, ताकि प्रशासन उचित समय पर कार्रवाई कर सके।