Trending News

12 जिलों में 15 लाख मछलियों के बच्चे छोड़ने की योजना

[Edited By: Shashank]

Saturday, 9th October , 2021 03:44 pm

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत गंगा किनारे बसे 12 जिलों में 15 लाख मछलियों के बच्चे छोड़ने की योजना है। गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने और मछलियों के प्रजनन को बढ़ाने के उद्देश्य से मत्स्य विभाग ने योजना के तहत 8 अक्टूबर को अभियान शुरू किया। गंगा में जाने वाले घरेलू सीवर, फूल और अन्य चीज़ो को प्रवाहित करने की वजह से प्रदूषण बढ़ता है। रोहू, कतला, नैन प्रजातियों की मछलियां नदी के तल में जमा कचरे को साफ करती हैं और जो भी खतरनाक गैसें कचरे में दबी होती हैं, वह बुलबुला बनकर बाहर निकल जाती हैं। प्रदूषण के कारण ही मछलियों के प्रजनन पर भी असर पड़ रहा है। मछलियों के संरक्षण के लिए ही प्रदेश के 12 जिलों में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत गंगा में मछलियों के बच्चे छोड़े जाने का निर्णय पिछले दिनों लिया गया था। मछली छोड़े जाने के लिए 12 जिलों को चुना गया इसमें कानपुर, बदायूं, बुलंदशहर, मेरठ, प्रयागराज, मुरादाबाद, वाराणसी शहर को भी शामिल किया गया, प्रत्येक जिले में 1.25 लाख मछलियां छोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। शुक्रवार को अटल घाट पर विधायक महेश त्रिवेदी, प्रभागीय वन निदेशक अरविद यादव, उमेश निगम, डीएवी कालेज के छात्र-छात्राएं, राष्ट्रीय मत्स्य आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो के प्रधान वैज्ञानिक डा. केडी जोशी, वैज्ञानिक डा. आदित्य कुमार, डा. राघवेंद्र सिंह, अनिल सिंह, गंगा टास्क फोर्स के सदस्यों ने रोहू, कतला, नैन प्रजाति की सवा लाख मछलियों के बच्चे गंगा में प्रवाहित करे गए। इन मछलियों का आकार लगभग सौ मिमी का है।

मछलियों के बच्चे करीब 6 माह में पूर्ण विकसित हो जाएंगे और पानी को शुद्ध रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। गंगा को निर्मल और स्वच्छ बनाने में सहायक बनेंगी। नमामि गंग प्रोजेक्ट के तहत यूपी में बह रही गंगा में रोहू मछली के बच्चे (फिंगरलिंग) छोड़े जाएंगे। इससे गंगा प्रदूषण मुक्त होंगी। गंगा में नाइट्रोजन की मात्रा कम होगी और मछलियों की तादाद में भारी बढ़ोत्तरी होगी। मछली के बच्चे का साइज 70 से 100 मिलीमीटर के बीच होता है। साइंटिफिक तरीके से रिसर्च कर ही गंगा में एक ही प्रजाति की रोहू, कतला और नैन मछलियों को छोड़ा गया है। ये गंगा में ऊपरी सतह, बीच और निचली सतह में मौजूद हानिकारक अशुद्धियों को खाती हैं। रोहू जो पानी के ऊपरी सतह में मौजूद अशुद्धियों को खाती है, कतला ये पानी के बीच लेयर में मौजूद गंदगी को खाकर खत्म करती है और नैन पानी के सबसे निचली सतह में रहकर गंदगी को खत्म करती है। गंगा में नाइट्रोजन की मात्रा 20 से 30 मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए। लेकिन कई बार घरेलू सीवर, खाद्य पदार्थ से इसकी मात्रा बढ़ जाती है जिससे मछलियों के प्रजनन पर भी प्रभाव पड़ता है।

 

Latest News

World News