कानपूर नगर में गंगा नदी में गिर रहे नालों से सम्बंधित शिकायतों पर कानपुर के अधिकारी एक्शन मोड में नज़र आए, विभिन्न स्तरों से प्राप्त हो रही शिकायतों के आधार पर मण्डलायुक्त, नगर आयुक्त, महा प्रबन्धक गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई व अधिशाषी अभियंता, सिंचाई की एक संयुक्त टीम बनाकर गंगा में गिर रहे नालों की जांच करने पहुंचे।
आपको बता दें, फ़िलहाल गंगा नदी में कुल 18 नाले गिरते हैं, जिनमें 13 नाले (एयर फोर्स ड्रेन, परमिया नाला, वाजिदपुर नाला, डबका नाला, बंगालीघाट, बुढ़िया घाट, गुप्तारघाट, सीसामऊ नाला, टैफ्को नाला, परमट ड्रेन, मुइरमिल ड्रेन, पुलिस लाइन ड्रेन व जेल ड्रेन) टैप्ड तथा 5 नाले (रानीघाट ड्रेन, गोलाघाट नाला, सती चौराहा नाला, मैस्कर ड्रेन व रामेश्वर ड्रेन) अनटैप्ड हैं।
निरीक्षण टीम द्वारा परमिया नाला, सीसामऊ नाला, परमट नाला, बाबा घाट नाला, गुप्तारघाट नाला व रानीघाट नाले का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि नवाबगंज पम्पिंग स्टेशन के 5 पम्पों में से 2 ही पम्प क्रियाशील होने के कारण परमिया नाले से लगभग 3-4 एमएलडी व परमट पम्पिंग स्टेशन के पम्पों के वर्तमान में चल रहे नवीनीकरण कार्य के चलते कुल 5 पम्पों के सापेक्ष 2 पम्प के क्रियाशील होने के कारण परमट नाले से लगभग 2 एमएलडी और रानीघाट नाले से लगभग 1 एमएलडी सीवेज ओवर फ्लों होता पाया गया।
मण्डलायुक्त ने महाप्रबन्धक, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई, और जल निगम को सभी प्लान्टों का संचालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिये कि सभी टैप्ड नालों से कोई भी ओवरफ्लों न हो और साथ ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट से निकलने वाला शोधित सीवेज निर्धारित मानक के अनुरूप शोधित हो। मण्डलायुक्त द्वारा जिलाधिकारी से अपेक्षा की गयी कि तत्काल इस सम्बन्ध में अपने स्तर पर गंगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सिंचाई विभाग, पुलिस विभाग, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं नगर निगम के अधिकारियों के साथ बैठक कर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करें।
अब ये दौरा कितना रंग लाएगा, यह तो आने वाला समय में ही पता चलेगा। मगर वर्तमान स्थिति से यह साफ़ है कि जिस देश में नदियों की पूजा होती है, उस देश में आज नदियाँ अपना अस्तित्व खोती नज़र आ रही है।