इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपीएसआईडीसी के पूर्व मुख्य अभियंता अरुण कुमार मिश्र की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है। इन पर कानपुर नगर के चकेरी थाने में बिना काम हुए ठेकेदारों को करोड़ों का भुगतान जारी कर सरकार को आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप है। जमानत अर्जी पर यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने दिया है।
इससे पहले याची की जमानत अर्जी कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि अनापत्ति औ रकाम कराए बिना 95फीसदी राशि का ठेकेदार को भुगतान किया है। इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी भी खारिज हो गई। इसके बाद यह दूसरी जमानत अर्जी दाखिल की गई थी।
2012में विभाग के अधिकारी ने एफ आई आर दर्ज कराई थी।सड़क लोक निर्माण विभाग ने बनाई और भुगतान ठेकेदार को कर दिया गया।याची अधिवक्ता का कहना था कि याची का नाम 22जुलाई 19 की चार्जशीट में नहीं था।सुरेश कुमार महेश्वरी के बयान पर 31अक्तूबर 20को दाखिल पूरक चार्जशीट में याची को आरोपित किया गया है।और 26अक्तूबर 20 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
अभी तक विभागीय कार्यवाही नहीं शुरू की गई है।याची को 16अगस्त 21को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है। याची निगम में अधिशासी अभियंता था। अन्य अधिकारियों के साथ भुगतान करने में शामिल था। बाद में मुख्य अभियंता पद पर रहते हुए भुगतान को अंतिम रूप दिया गया। याची का कहना था कि राजेश कुमार चौहान ने अंतिम भुगतान किया है। उसकी भूमिका नहीं है। इस पर कोर्ट ने सशर्त जमानत मंजूर कर ली है।