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आयुर्वेद- आरोग्याश्रम में गोमूत्र से हो रहा कैंसर का ईलाज

[Edited By: Vijay]

Wednesday, 1st September , 2021 03:11 pm

आयुर्वेदिक चिकित्सा विज्ञान में गोमूत्र को तमाम गुणधर्मो वाला रसायन बताया गया है। अगर प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों और योग का भी सहारा मिल जाए तो सेहत का कायाकल्प हो जाता है। मेरठ-बागपत मार्ग पर पांचली खुर्द गांव स्थित 1969 में स्थापित महात्मा जगदीश्वरानंद आरोग्याश्रम में इसी पद्धति से कैंसर सहित कई बीमारियों का इलाज किया जाता है। गोवा, गुजरात, बिहार समेत देश के विभिन्न क्षेत्रों से मरीज इलाज करा रहे हैं।

शोधन के बाद दिया जाता गोमूत्र

आरोग्याश्रम के मुख्य चिकित्सक डा. काशीनाथ किरनापुरे (एमडी, नेचुरोपैथी) बताते हैं कि यहां केवल फस्र्ट और शुरुआती सेकेंड स्टेज के कैंसर पीड़ितों का ही इलाज किया जाता है। ताजे गोमूत्र को तीन-चार बार कपड़े से छानकर शोधन के बाद 50 से 100 मिलीलीटर मरीज को दिन में एक बार दिया जाता है। मरीज को तुलसी व एलोवेरा के मिश्रण से तैयार तरल पदार्थ भी दिया जाता है। मरीज सुविधानुसार अन्य दवा भी ले सकते हैं। डा. काशीनाथ का दावा है कि प्रथम स्टेज के कैंसर को गोमूत्र एवं स्वमूत्र से ठीक किया जा चुका है। स्वमूत्र थेरेपी के लिए रोगी को एक माह तक विशेष तरल आहार दिया जाता है। मोदीनगर के शोराज सिंह व मुजफ्फरनगर के कालू राम का कैंसर इसी पद्धति से ठीक किया गया।

सुबह चार बजे से शुरू होती है दिनचर्या

दिल्ली निवासी किशनपाल, मेरठ के अविनाश, महेश गुप्ता सहित 15-20 मरीजों का उपचार चल रहा है। मरीजों को सुबह चार बजे उठकर घूमना होता है। योगासन व प्राणायाम के साथ यौगिक क्रियाओं के बाद सभी लोग हवन करते हैं। सुबह नौ से 11 और शाम तीन से पांच बजे तक इलाज चलता है। आश्रम में ही रहने-खाने की व्यवस्था है। आश्रम में 50 कमरे हैं। प्रतिदिन का खर्च 400 से एक हजार रुपये तक आता है। गोवा के केपी सिंह ने बताया कि मुङो हार्ट ब्लाकेज की शिकायत थी। पैरालिसिस हो गया था। यहां प्राकृतिक चिकित्सा व योग को अपनाकर ठीक हूं। अब दौड़ भी सकता हूं। मेरठ महेश कुमार गुप्ता ने कहा कि घुटने व पेट दर्द से परेशान था। आश्रम में उपचार लिया। अब काफी आराम है।

बिगड़ी जीवनशैली से उपजे रोगों का इलाज

बदली जीवनशैली की वजह से होने वाले रोगों का भी यहां इलाज किया जाता है। शरीर के शोधन के बाद प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से मोटापा, कब्ज, गठिया, शुगर, नजला-जुकाम सहित कई बीमारियों को दूर किया जाता है। डा. काशीनाथ कहते हैं कि सभी बीमारियां पेट खराब होने से ही होती हैं, इसलिए सबसे पहले एनिमा द्वारा पेट का उपचार किया जाता है। इसके बाद मिट्टी लेपन, पानी के भाप आदि के द्वारा इलाज किया जाता है। मरीज को संतुलित व समय से आहार का पूरा ध्यान रखना होता है।

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