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फ्रांस की यह कंपनी करेगी लड़ाकू इंजन बनाने में मदद

[Edited By: Rajendra]

Wednesday, 28th October , 2020 01:24 pm

भारतीय वायु सेना की स्ट्राइक क्षमता को आने वाले दिनों में बढ़ावा देने के लिए अप्रैल 2021 तक गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में 16 नए राफेल जेट शामिल किए जाएंगे। इसके साथ ही फ्रांस के सबसे बड़े जेट इंजन निर्माता सफरान ने भारत में लड़ाकू इंजन बनाने के लिए सहायता करने में भी अपनी सहमति दिखाई है।

अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि फ्रांस भारत में अधिक राफेल लड़ाकू विमानों की पेशकश करने के लिए तैयार है। वहीं सफरान का भारत में स्नेक एम 88 इंजन बनाने का प्रस्ताव अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाने के चार साल पहले का है।

राफेल लड़ाकू विमानों द्वारा न केवल एम-88 इंजन का उपयोग किया जाएगा, बल्कि इन्हें रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट मार्क II और ट्विन-इंजन एडवांस्ड मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट भी तैनात किया जा सकता है। IAF ने 83 LCA मार्क IA जेट्स खरीदने की योजना बनाई है।

सफरान ने कहा कि वह बिना किसी तीसरे देश के स्पेयर पार्ट्स के साथ इंजन की पेशकश करने को तैयार है ताकि अतिरिक्त अप्रूवल की आवश्यकता न हो और 100% स्वदेशीकरण हो। इस गुरुवार को पेरिस से शुरू होने वाले विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला की फ्रांस, यूके और जर्मनी यात्रा के दौरान फ्रांसीसी प्रस्ताव चर्चा के लिए आ सकता है। जबकि DRDO अपने स्वयं के लड़ाकू इंजन का विकास जारी रख सकता है, सफरान इंजन विकास और निर्माण के बीच की खाई को भर देगा।

केवल अमेरिका, रूस और फ्रांस के पास ही लड़ाकू जेट इंजन का उत्पादन करने की क्षमता है। चीन अभी भी अपने जेट लड़ाकू विमानों जैसे कि जे-31 और जेएफ-17 के लिए रूसी आरडी-93 और आरडी-33 इंजन का उपयोग कर रहा है।

पांच राफेल जेट विमानों ने 29 जुलाई को अबू धाबी से अंबाला एयरबेस के लिए उड़ान भरी और उन्‍हें पहले ही भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन 17 में शामिल कर लिया गया। तीन राफेल का अगला जत्था 5 नवंबर को सीधे अंबाला आएगा। फ्रांस में IAF लड़ाकू पायलट प्रशिक्षण के लिए पहले से ही सात राफेल लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल कर रही है।

जनवरी में तीन और राफेल आएंगे, मार्च में तीन और अप्रैल में सात राफेल आएंगे, जिसके बाद कुल विमानों की संख्‍या 21 सिंगल-सीट राफेल भारत आ जाएंगे। इसका मतलब है कि अगले साल अप्रैल तक गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में 18 फाइटर जेट सौंपे जाएंगे और शेष तीन को पूर्वी मोर्चे पर चीन द्वारा उत्पन्न खतरे का मुकाबला करने के लिए उत्तर बंगाल के अलीपुरद्वार में हाशिमारा एयरबेस पर भेजा जा सकता है।

सभी लड़ाकू विमान स्कैल्प एयर-टू-ग्राउंड क्रूज मिसाइलों के साथ मीका और उल्का एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस हैं। भारत ने अब सफरान से 250 किलोग्राम वारहेड के साथ एयर-टू-ग्राउंड मॉड्यूलर हथियार के लिए अनुरोध किया है।

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