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भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा किया

[Edited By: Rajendra]

Friday, 5th August , 2022 12:42 pm

भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही अब रेपो रेट बढ़कर 5.40 फीसदी हो गई है। आठ जून को हुई पिछली नीतिगत घोषणा में भी आरबीआई ने रेपो रेट में आधे फीसदी का इजाफा किया था। इससे रेपो रेट बढ़कर 4.90 फीसदी पर पहुंच गई थी। हाल ही में अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने भी ब्याज दरों में इजाफा किया था। इसके चलते उम्मीद की जा रही थी कि आरबीआई भी ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला लेगा। भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई में कमी लाने के लिए रेपो रेट में यह बढ़ोतरी की है।

रेपो रेट में इस बढ़ोतरी का बोझ बैंक अपने ग्राहकों पर डालेंगे। इससे आपकी लोन की किस्त बढ़ जाएगी। होम लोन के साथ-साथ ऑटो लोन और पर्सनल लोन की किस्त में भी इजाफा होगा। अगर आपका होम लोन 30 लाख रुपये का है और इसकी अवधि 20 साल की है तो आपकी किस्त 24,168 रुपये से बढ़कर 25,093 रुपये पर पहुंच जाएगी।

होम लोन की ब्याज दरें 2 तरह से होती हैं पहली फ्लोटर और दूसरी फ्लेक्सिबल। फ्लोटर में आपके लोन कि ब्याज दर शुरू से आखिर तक एक जैसी रहती है। इस पर रेपो रेट में बदलाव का कोई फर्क नहीं पड़ता। वहीं फ्लेक्सिबल ब्याज दर लेने पर रेपो रेट में बदलाव का आपके लोन की ब्याज दर पर भी फर्क पड़ता है। ऐसे में अगर आपने पहले से फ्लेक्सिबल ब्याज दर पर लोन ले रखा है तो आपके लोन की किस्त भी बढ़ जाएगी।

मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग हर दो महीने में होती है। इस वित्त वर्ष की पहली मीटिंग अप्रैल में हुई थी। तब भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 4 फीसदी पर स्थिर रखा था। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक ने 2 और 3 मई को इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था। 22 मई 2020 के बाद रेपो रेट में ये बदलाव हुआ था।

इस वित्त वर्ष की पहली मीटिंग 6-8 अप्रैल को हुई थी। इसके बाद 6 से 8 जून को हुई मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में रेपो रेट में 0.50 फीसदी इजाफा किया है। इससे रेपो रेट 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गई थी। अब अगस्त में इसे 0.50 फीसदी बढ़ाया गया है जिससे ये 5.40 फीसदी पर पहुंच गई है।

भारतीय रिजर्व बैंक के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, भारतीय रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक से मिलेने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देंगे। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होगा। मनी फ्लो कम होगा तो डिमांड में कमी आएगी और महंगाई घटेगी।

इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है। इस उदाहरण से समझते है। कोरोना काल में जब इकोनॉमिक एक्टिविटी ठप हो गई थी तो डिमांड में कमी आई थी। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को कम करके इकोनॉमी में मनी फ्लो को बढ़ाया था।

रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते है जिस दर पर बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक पैसा रखने पर ब्याज देता है। जब भारतीय रिजर्व बैंक को मार्केट से लिक्विडिटी को कम करना होता है तो वो रिवर्स रेपो रेट में इजाफा करता है। भारतीय रिजर्व बैंक के पास अपनी होल्डिंग के लिए ब्याज प्राप्त करके बैंक इसका फायदा उठाते हैं। इकोनॉमी में हाई इंफ्लेशन के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक रिवर्स रेपो रेट बढ़ाता है। इससे बैंकों के पास ग्राहकों को लोन देने के लिए फंड कम हो जाता है।

जून की पॉलिसी के दौरान, भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा था कि प्राइस राइज टॉलरेंस लेवल से बहुत आगे है। हालांकि, उन्होंने हाल ही में अपने एक बयान में कहा था कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में महंगाई कम होगी। दास ने कहा था, मौजूदा समय में सप्लाई का आउटलुक काफी बेहतर नजर आ रहा है। सभी इंडिकेटर्स 2022-23 की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था की रिकवरी के संकेत दे रहे हैं।

पिछले महीने की शुरुआत में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जून में भारत की रिटेल महंगाई 7.01 फीसदी हो गई। एक साल पहले की समान अवधि में ये 6.26 फीसदी थी। यह लगातार छठा महीना था जब महंगाई केंद्रीय बैंक के 2 फीसदी-6 फीसदी के टॉलरेंस बैंड से ऊपर रही थी। खाद्य महंगाई दर जून में 7.75 फीसदी रही जो मई में 7.97 फीसदी रही थी। अप्रैल में यह 8.38 फीसदी थी। सब्जियों की महंगाई जून में घटकर 17.37 फीसदी हो गई जो मई में 18.26 फीसदी थी। फ्यूल और लाइट की महंगाई जून में बढ़कर 10.39 फीसदी हो गई जो मई में 9.54 फीसदी थी। महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7 फीसदी है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा। इसलिए, महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।

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