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शपूरजी पालोनजी समूह शेयर स्वैप के जरिए Tata Group से होना चाहता है अलग

[Edited By: Rajendra]

Friday, 30th October , 2020 06:35 pm

निर्माण क्षेत्र के सबसे बड़े नामों में से एक शपूरजी पालोनजी ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में टाटा ग्रुप से अलग होने के लिए प्लान जमा कर दिया है. शपूरजी पालोनजी ग्रुप साइरस मिस्त्री के परिवार का समूह है और पिछले 70 सालों से टाटा समूह के साथ है. सितंबर 2020 में शपूरजी पालोनजी समूह ने टाटा ग्रुप से अलग होने की घोषणा की थी. शपूरजी पालोनजी ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मिस्त्री परिवार ने टाटा समूह में अपनी हिस्सेदारी को 1.75 करोड़ रुपये का आंका है.

टाटा ग्रुप और शपूरजी पालोनजी समूह के रिश्तों में कड़वाहट अक्टूबर 2016 में उस वक्त पैदा हुई, जब साइरस मिस्त्री को टाटा सन्स के चेयरमैन मद से हटा दिया गया. उसके बाद से टाटा ग्रुप और साइरस मिस्त्री के बीच दिसंबर 2016 से ही कानूनी लड़ाई चल रही है.

टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा संस में 18.4 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले शपूरजी पालनजी ग्रुप के साइरस मिस्त्री को 2012 में टाटा ग्रुप का चेयरमैन चुना गया था. 2016 में एक विवाद के बाद टाटा संस के बोर्ड ने साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप के चेयरमैन के पद से हटाने का प्रस्ताव पारित किया. इसके बाद मिस्त्री को पद से हटना पड़ा. शुरू में टाटा परिवार के सबसे वरिष्ठ सदस्य रतन टाटा ने अंतरिम चेयरमैन के तौर पर ग्रुप की कमान संभाली. बाद में नटराजन चंद्रशेखरन को यह जिम्मा सौंप दिया गया.

शपूरजी पालनजी ग्रुप ने इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी. कहा कि टाटा संस के माइनॉरिटी शेयर होल्डर के साथ हुआ यह बर्ताव गलत है. बिना किसी उचित प्रक्रिया को अपनाए मिस्त्री को बाहर कर दिया गया है. आखिरकार, दिसंबर 2019 में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने यह फैसला दिया कि साइरस मिस्त्री को पद से हटाना गलत था. NCLAT ने मिस्त्री की दोबारा बहाली का भी आदेश दिया. टाटा ग्रुप इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के आदेश रोक लगा दी.

अब शपूरजी पालनजी ने सुप्रीम कोर्ट में नया प्रस्ताव देते हुए कहा है कि वह टाटा संस के साथ अपनी अपने रिश्ते खत्म करना चाहता है. उसके टाटा संस में 18.4% शेयर हैं. टाटा संस की टाटा ग्रुप की अलग-अलग कंपनियों में जो भी हिस्सेदारी है, उसका इतना ही प्रतिशत हिस्सा शपूरजी पालनजी ग्रुप को दे दिया जाए. जैसे- टीसीएस में टाटा संस की 72 फीसदी हिस्सेदारी है. ऐसे में शपूरजी पालनजी ग्रुप की मांग है कि उसे 72 का 18.4% यानी टीसीएस का 13.22 फीसदी शेयर दे दिया जाए. ग्रुप की तरफ से कोर्ट में दिए गए आवेदन में कहा गया है कि बिना नगद लेनदेन के इस तरह का बंटवारा दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद है. इसे आसानी से लागू भी किया जा सकता है.

अभी शपूरजी पालनजी के इस प्रस्ताव पर टाटा ग्रुप की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. टाटा ग्रुप के वकीलों ने इस प्रस्ताव पर हैरानी जताते हुए कहा है कि ऐसी कोई बात अब तक की सुनवाई में नहीं रखी गई थी. शपूरजी पालनजी ग्रुप की तरफ से यह भी कहा गया है कि अगर किसी कंपनी की हिस्सेदारी देने को टाटा ग्रुप सहमत न हो, तो शेयर की कीमत के मुताबिक नगद उसे दिया जा सकता है.

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