भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव की वजह से अब भारत में दवाइयां महंगी होने वाली हैं। दरअसल कड़वी सच्चाई है कि चीन पर भारत अपनी निर्भरता अचानक से नहीं घट जाएगी। भारत बहुत बड़े पैमाने पर मेडिसिन का उत्पादन करता है लेकिन इसके लिए जरूरी उत्पाद API (Active Pharmaceutical Ingredients) और KSM (Key Starting Materials) का आयात चीन से किया जाता है।
भारत API का बड़े पैमाने पर आयात करता रहा है। API को बेसिक फार्म इंग्रीडिएंट कहते हैं। इसकी मदद से दवा तैयार होती है। एपीआई की कीमत अब प्री-कोविड लेवल पर पहुंच चुकी है। भारत जरूरत का 70-80 फीसदी चीन से आयात करता है। KSM की मदद से भारतीय कंपनियां एंटीबॉडी तैयार मेडिसिन तैयार करती हैं। इसकी कीमत में तेजी के कारण दवा की कीमत में भी तेजी आएगी। इसकी कीमत में 15 फीसदी तक की तेजी आई है।
बता दें कि चीन ने की स्टार्टिंग मटीरियल की कीमत 10-20 फीसदी बढ़ा दी हैं। इसका सीधा असर भारत में दवा की कीमतों पर दिखाई दे सकता है। अगले एक से दो महीने के भीतर जब KSM की नई खेप आएगी तो उसकी कीमत ज्यादा होगी, जिसके कारण मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ जाएगा और दवा की कीमत भी बढ़ानी पड़ेगी।