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अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 6 मेंबर्स एक्सपर्ट कमेटी बनाई

[Edited By: Rajendra]

Thursday, 2nd March , 2023 11:44 am

अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 6 मेंबर्स एक्सपर्ट कमेटी बना दी है। रिटायर्ड जज एएम सप्रे इस कमेटी के हेड होंगे। उनके साथ इस कमेटी में जस्टिस ओपी भट, जस्टिस जेपी देवदत्त, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल होंगे। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने गुरुवार को यह आदेश दिया।

इस कमेटी को मामले की जांच सौंपने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी से भी स्टॉक्स की कीमतों में हेरफेर की जांच रिपोर्ट तलब की है। सेबी को 2 महीने के भीतर स्टेटस रिपोर्ट देनी होगी, जिसमें बताना होगा कि क्या इस केस में सेबी के नियमों की धारा 19 का उल्लंघन हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, कमेटी दो महीने में बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। कमेटी अदाणी ग्रुप के शेयरों में कथित गड़बड़ियों से संबंधित जांच करेगी। 24 जनवरी को अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप की कंपनियों के स्टॉक्स में हेराफेरी और अकाउंटिंग से जुड़ी गड़बड़ियों के आरोप लगाए थे

सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में नियामकीय समीक्षा के लिए एक कमेटी के गठन का आदेश दिया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। खबरों के मुताबिक, यह कमेटी बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। कमेटी अदाणी ग्रुप के शेयरों में कथित गड़बड़ियों से संबंधित जांच करेगी। 24 जनवरी को अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप की कंपनियों के स्टॉक्स में हेराफेरी और अकाउंटिंग से जुड़ी गड़बड़ियों के आरोप लगाए थे।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, कमेटी को रिपोर्ट जमा करने के लिए 2 महीने का समय दिया गया है जो बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट जमा करेगी। इस कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज ए एम सप्रे करेंगे। इसके अलावा, कमेटी में प्रतिष्ठित बैंकर ओपी भट्ट, केवी कामत, टेक्नोलॉजी सेक्टर के दिग्गज नंदन निलेकणी और सोमशेखर सुंदरेशन सदस्य के रूप में शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट की कमेटी इन पहलुओं की जांच करेगी: शेयर मार्केट का रेगुलेटरी फ्रेमवर्क मजबूत करने के उपाय सुझाएगी। यानी मार्केट में होने वाली ट्रेडिंग की निगरानी और पुख्ता की जाएगी। अडाणी ग्रुप के शेयर्स में तेजी से ऊठापटक से जुड़े विवादों की जांच करेगी। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद ग्रुप के शेयर्स गिरे थे। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि कमेटी बनाने से मार्केट रेगुलेटर सेबी की स्वतंत्रता और इसकी जांच प्रोसेस में कोई बाधा नहीं आएगी।

इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि वह मीडिया को रिपोर्टिंग से नहीं रोक सकता। वहीं कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले की जांच के लिए कमेटी के गठन को लेकर अपना फैसला सुरक्षित कर चुकी है और जल्द ही इसे सुनाया जाएगा।

इस मामले में अभी तक 4 जनहित याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। एडवोकेट एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सोशल वर्कर मुकेश कुमार ने ये याचिकाएं दायर की हैं। मामले में पहली सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने 10 फरवरी को की थी।

मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और FIR की मांग की है। इसके साथ ही इस मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक की भी मांग की गई थी। विशाल तिवारी ने SC के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की। तिवारी ने अपनी याचिका में लोगों के उन हालातों के बारे में बताया जब शेयर प्राइस नीचे गिर जाते हैं। जया ठाकुर ने इस मामले में भारतीय जीवन बीमा निगम और भारतीय स्टेट बैंक की भूमिका पर संदेह जताया है। उन्‍होंने भारतीय जीवन बीमा निगम और भारतीय स्टेट बैंक की अडाणी एंटरप्राइजेज में भारी मात्रा में सार्वजनिक धन के निवेश की भूमिका की जांच की मांग की है।
मुकेश कुमार ने अपनी याचिका में SEBI, ED, आयकर विभाग, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस से जांच के निर्देश देने की मांग की है। मुकेश कुमार ने अपने वकीलों रूपेश सिंह भदौरिया और महेश प्रवीर सहाय के जरिए ये याचिका दाखिल कराई है। याचिकाओं में दावा किया गया है कि हिंडनबर्ग ने शेयरों को शॉर्ट सेल किया जिससे 'निवेशकों को भारी नुकसान' हुआ। इसमें ये भी कहा गया है कि रिपोर्ट ने देश की छवि को धूमिल किया है। यह अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। इसके साथ ही रिपोर्ट पर मीडिया प्रचार ने बाजारों को प्रभावित किया और हिंडनबर्ग के फाउंडर नाथन एंडरसन भी भारतीय नियामक सेबी को अपने दावों का प्रमाण देने में विफल रहे।

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