कैलाश खेर हिन्दी सिनेमा के एक ऐसे गायक हैं जिनके दीवाने विश्वभर में हैं। कैलाश ने हिंदी, गुजराती, नेपाली, तमिल, तेलुगु, सहित कई भाषाओं में गाया है। मलयालम, कन्नड़, बंगाली, ओडिया और उर्दू भाषा में भी कैलाश की अच्छी पकड़ है। 7 जुलाई 1973 को उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में जन्मे कैलाश यूं ही नहीं संगीत के सम्राट हो गए थे। आज जिन बुलंदियों पर कैलाश खेर हैं उन तक पहुंचने के लिए इस अद्भुत गायक को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, एक समय था जब कैलाश के पास उनका संगीत तो था लेकिन जेब में पैसे नहीं थे। तो उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको बताते हैं उनके जीवन के संघर्ष की दास्तान...
कैलाश जब 13 साल के थे तभी वो संगीत की बेहतर शिक्षा लेने के लिए घरवालों से लड़कर दिल्ली आ गए थे। यहां आकर उन्होंने संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी, लेकिन साथ में पैसे कमाने के लिए छोटा सा काम भी शुरू कर दिया। बता दें विदेशी लोगों को संगीत सिखाकर कैलाश पैसे कमाते थे।
दिल्ली में रहते हुए 1999 तक कैलाश खेर ने अपने एक फैमिली फ्रेंड के साथ एक्सपोर्ट का बिजनेस शुरु किया। इसी साल उन्हें इस कारोबार में इतना बड़ा घाटा हुआ जिसमें वह अपनी सारी जमा पूंजी गंवा चुके थे। उस वक्त कैलाश इतने डिप्रेशन में चले गए थे कि वो जिंदगी से तंग आकर सुसाइड करना चाहते थे।
इन सब से किसी तरह से निकलने के बाद कैलाश पैसे कमाने के लिए सिंगापुर और थाइलैंड चले गए। जहां 6 महीने रहने के बाद वो वापस भारत आकर ऋषिकेश चले गए और कुछ दिनों तक वहीं रहे। वहां वे साधू-संतो के लिए गाना गाया करते थे। कैलाश के गाने सुनकर बड़े से बड़ा संत झूम उठता था, इससे कैलाश का खोया विश्वास वापस आया और वह मुंबई चले आए।
मुंबई आने के बाद कैलाश ने काफी गरीबी में दिन गुजारें। कैलाश वहां चॉल में रहते थे। उनके हालात कैसे थे वो इसी बात से पता चलता है कि उनके पास पहनने के लिए एक सही चप्पल भी नहीं थी। वह एक टूटी चप्पल ले 24 घंटे स्टूडियो के चक्कर लगाते रहते ताकि कोई तो उनकी आवाज को सुन उनको गाने का मौका दे दे।
एक दिन उन्हें राम संपत ने एक ऐड का जिंगल गाने के लिए बुलाया, जिसके लिए उन्हें 5000 रुपए मिले। तब पांच हजार रुपए भी कैलाश को बहुत ज्यादा लगे और इनसे उनका कुछ दिन का काम चल गया। 'अल्ला के बंदे हम' ने उनको एक अलग पहचान दिलाई।
अपनी गायकी के लिए 'पद्मश्री' सम्मान से सम्मानित कैलाश ने हिंदी में 500 से ज्यादा गाने गाए हैं। इसके अलावा उन्होंने तमाम क्षेत्रीय भाषाओं में भी गाने गाए हैं। 'तेरी दीवानी' कैलाश के लोकप्रिय गानों में से एक है। कैलाश का 'कैलाशा' नाम से अपना बैंड भी है जो नेशनल और इंटरनेशनल शोज़ करता है।
एल्बम- 'वैसा भी होता है' का 'अल्लाह के बन्दे' भी एक ऐसा गीत है जो कैलाश के फैंस हमेशा गुनगुनाते हैं। दो बार फिल्मफेयर बेस्ट सिंगर का अवार्ड जीत चुके कैलाश खेर के लिए 'सैयां' एल्बम का यह टाइटल सांग तो जैसे उनकी पहचान है। पिछले साल 'बाहुबली 2' में भी कैलाश खेर को आप सबने सुना होगा। 'बम लहिरी' भी उनके लोकप्रिय गीतों में शामिल है। फिल्म 'दिल्ली 6' का गीत 'अर्जियां सारी' को कैलाश खेर ने जावेद अली के साथ मिलकर गाया था। यह गीत भी काफी पॉपुलर हुआ।
Report By- Gaurav Shukla