सुप्रीम कोर्ट ने अडाणी-हिंडनबर्ग मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वह मीडिया को रिपोर्टिंग से नहीं रोक सकता। वहीं कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले की जांच के लिए कमेटी के गठन को लेकर अपना फैसला सुरक्षित कर चुकी है और जल्द ही इसे सुनाया जाएगा। ये याचिका एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा ने दायर की थी।
इस मामले में अभी तक 4 जनहित याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। एडवोकेट एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सोशल वर्कर मुकेश कुमार ने ये याचिकाएं दायर की हैं। मामले में पहली सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने 10 फरवरी को की थी।
मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और FIR की मांग की है। इसके साथ ही इस मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक की भी मांग की गई थी। विशाल तिवारी ने SC के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की। तिवारी ने अपनी याचिका में लोगों के उन हालातों के बारे में बताया जब शेयर प्राइस नीचे गिर जाते हैं। जया ठाकुर ने इस मामले में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की भूमिका पर संदेह जताया है। उन्होंने LIC और SBI की अडाणी एंटरप्राइजेज में भारी मात्रा में सार्वजनिक धन के निवेश की भूमिका की जांच की मांग की है। मुकेश कुमार ने अपनी याचिका में SEBI, ED, आयकर विभाग, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस से जांच के निर्देश देने की मांग की है। मुकेश कुमार ने अपने वकीलों रूपेश सिंह भदौरिया और महेश प्रवीर सहाय के जरिए ये याचिका दाखिल कराई है।
याचिकाओं में दावा किया गया है कि हिंडनबर्ग ने शेयरों को शॉर्ट सेल किया जिससे 'निवेशकों को भारी नुकसान' हुआ। इसमें ये भी कहा गया है कि रिपोर्ट ने देश की छवि को धूमिल किया है। यह अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। इसके साथ ही रिपोर्ट पर मीडिया प्रचार ने बाजारों को प्रभावित किया और हिंडनबर्ग के फाउंडर नाथन एंडरसन भी भारतीय नियामक सेबी को अपने दावों का प्रमाण देने में विफल रहे।
अडाणी ग्रुप को लेकर 24 जनवरी को हिंडरबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से ग्रुप का मार्केट कैप 61.6% या 11.8 लाख करोड़ रुपए घटकर अब 7.4 लाख करोड़ रुपए हो गया है। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ग्रुप के सात शेयर 85% से जायादा ओवरवैल्यूड है। ग्रुप के शेयरों में अडाणी टोटल गैस का शेयर सबसे ज्यादा टूटा है। ये पिछले 21 सेशन में 20 सेशन में लोअर सर्किट पर बंद हुआ है। गुरुवार के 5% नुकसान के बाद, स्टॉक अब 25 जनवरी से अपने मूल्य का लगभग 80% खो चुका है। 24 जनवरी को इसका मार्केट कैप 4.3 लाख करोड़ रुपए था जो अब 87,242 करोड़ रुपए पर आ गया है। अडाणी ग्रीन एनर्जी और ट्रांसमिशन को करीब 73% का नुकसान हुआ है। अडाणी एंटरप्राइजेज, पिछले एक महीने में अपने मूल्य का लगभग 60% खो चुकी है।
शीर्ष अदालत ने सोमवार को याचिकाकर्ताओं में से एक के सुझाव और जनहित याचिकाओं के एक बैच में फोर्ब्स द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लेने से इनकार कर दिया था। अदालत ने 17 फरवरी को शेयर बाजार के लिए नियामक उपायों को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञों के एक प्रस्तावित पैनल पर केंद्र के सुझाव को सीलबंद लिफाफे में स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। पीठ ने कहा था, 'हम आपके सीलबंद लिफाफे में दिए गए सुझाव को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि हम पूरी पारदर्शिता बनाए रखना चाहते हैं।'
शीर्ष अदालत ने 10 फरवरी को कहा था कि अदाणी समूह के स्टॉक रूट की पृष्ठभूमि में भारतीय निवेशकों के हितों को बाजार की अस्थिरता के खिलाफ संरक्षित करने की आवश्यकता है और केंद्र से नियामक तंत्र को मजबूत करने के लिए एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में डोमेन विशेषज्ञों के एक पैनल की स्थापना पर विचार करने के लिए कहा।
इस मुद्दे पर वकील एम एल शर्मा और विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और कार्यकर्ता मुकेश कुमार ने अब तक शीर्ष अदालत में चार जनहित याचिकाएं दायर की हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा व्यापारिक समूह के खिलाफ धोखाधड़ी वाले लेनदेन और शेयर की कीमतों में हेरफेर सहित कई आरोपों के बाद अदाणी समूह के शेयरों ने शेयर बाजार पर दबाव डाला है।
अदाणी समूह ने आरोपों को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया है, यह कहते हुए कि यह सभी कानूनों और प्रकटीकरण आवश्यकताओं का अनुपालन करता है।