मोहम्मद रफी ने 31 जुलाई 1980 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। उन्होंने भारतीय सिनेमा में अपने सुरों की ऐसी छाप छोड़ी जो आज तक अमिट है।

मोहम्मद रफी ने 1940 के दशक से 1980 तक कुल 26,000 गाने गाए। इनमें हिन्दी गानों के अलावा गजल, भजन, देशभक्ति गीत शामिल हैं।

बॉलीवुड में शायद ही ऐसा कोई बड़ा सितारा हो, जिसके लिए रफी साहब ने गाना न गाया हो। गुरु दत्त, दिलीप कुमार, देव आनंद, शम्मी कपूर, राजेन्द्र कुमार, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, जीतेन्द्र और ऋषि कपूर का नाम भी इनमें शामिल है।

मोहम्मद रफी के गायक बनने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। बचपन से ही उन्हें गाने का बेहद शौक था। वह अक्सर एक फकीर का पीछा करते थे, जो गाते हुए जाया करता था।

मोहम्मद रफी जब सात साल के थे तो वे अपने बड़े भाई की दुकान से होकर गुजरने वाले एक फकीर का पीछा किया करते थे। उसकी आवाज उन्हें बेहद पसंद थी। बाद में वह उसकी नकल करते थे। लोगों को रफी की आवाज पसंद आने लगी।

मोहम्मद रफी का पहला गीत एक पंजाबी फिल्म 'गुल बलोच' के लिए था, जिसे उन्होने श्याम सुंदर के निर्देशन में 1944 में गाया। साल 1946 में मोहम्मद रफी मुंबई आ गए। संगीतकार नौशाद ने उन्हें सबसे पहला मौका दिया।

रफी साहब को संगीतकार नौशाद के गीत तेरा खिलौना टूटा (अनमोल घड़ी) से पहली बार पहचान मिली। इसके बाद शहीद, मेला तथा दुलारी में भी उनकी आवाज को सभी ने सराहा।