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अमेठी में बनेगी ए.के.203 राईफल,पांच लाख राईफल्स का होगा निर्माण

[Edited By: Vijay]

Saturday, 4th December , 2021 01:27 pm

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की योजना को बड़ी उड़ान मिली है। केन्द्र सरकार की मंजूरी के बाद अब उत्तर प्रदेश के अमेठी में एके-203 राइफल का निर्माण होगा। भारत तथा रूस के इस साझा प्रोजेक्ट का अमेठी को बड़ा लाभ मिलेगा और यहां पांच लाख राइफल का निर्माण होगा।

अमेठी में जिन एके-203 राइफल का निर्माण होगा, वो पीएसी तथा पुलिस बल में करीब तीन दशक पहले शामिल इंसास राइफल का स्थान लेंगी। रूस के साथ साझा प्रोजेक्ट को केन्द्र की सरकार ने दी मंजूरी दी है।अमेठी के इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आइआरआरपीएल) के संयुक्त उद्यम का अहम प्रोजेक्ट है। इसको भारत के तत्कालीन ओएफबी अब एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (एडब्ल्यूईआईएल) और मुनिशन इंडिया लिमिटेड (एमआईएल) और रूस के रोसोबोरोनएक्सपोर्ट (आरओई) और चिंता कलाश्निकोव के साथ गति दी जा रही है।

उत्तर प्रदेश में डिफेंस कारिडोर के छह नोड की शुरुआत होने के साथ ही यह प्रदेश भारत का रक्षा विनिर्माण केन्द्र बनने की ओर अग्रसर हो गया है। नरेन्द्र मोदी सरकार के भारत में रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता को एक बड़ा बढ़ावा देने के प्रयास में है। सरकार ने इसी के तहत अमेठी के कोरवा में पांच लाख से अधिक एके-203 असॉल्ट राइफलों के उत्पादन की योजना को मंजूरी दी है। यह रक्षा अधिग्रहण में खरीद (वैश्विक) से मेक इन इंडिया में लगातार बढ़ते प्रतिमान को दर्शाता है। यह प्रयास रूस के साथ साझेदारी में किया जाएगा और रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच गहरी होती साझेदारी को दर्शाता है।

अमेठी की यह परियोजना विभिन्न एमएसएमई और अन्य रक्षा उद्योगों को कच्चे माल और घटकों की आपूर्ति के लिए व्यावसायिक अवसर प्रदान करेगी, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यह परियोजना उत्तर प्रदेश को भारत के बढ़ते रक्षा निर्माण कौशल में एक प्रमुख योगदानकर्ता बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

7.62 गुणे 39 एमएम कैलिबर एके -203 राइफल्स तीन दशक पहले सैनिक तथा अर्धसैनिक पुलिस बल में शामिल इन-सर्विस इंसास राइफल की जगह लेगी। एके-203 असॉल्ट राइफल्स, 300 मीटर की प्रभावी रेंज के साथ, हल्के वजन, मजबूत और सिद्ध तकनीक के साथ आधुनिक असॉल्ट राइफल्स का उपयोग करने में आसान हैं। इसी कारण यह राइफल वर्तमान और परिकल्पित परिचालन चुनौतियों का पर्याप्त रूप से सामना करने के लिए सैनिकों की युद्ध क्षमता को बढ़ाएगी।

यह राइफल किसी भी प्रकार की काउंटर इंसर्जेंसी या काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन में भारतीय सेना की परिचालन प्रभावशीलता को बढ़ाएंगे।

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