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सालों से चली आ रही भारतीय रेल की पुरानी पहचान में बड़े बदलाव करने की तैयारी में

[Edited By: Rajendra]

Monday, 14th December , 2020 05:57 pm

सालों से चली आ रही भारतीय रेल की पुरानी पहचान में बड़े बदलाव करने की तैयारी में है। बता दें कि भारतीय रेल में ट्रेनों के पीछे लगने लगने वाले गार्ड के डिब्‍बे को हटने का फैसला किया हैं। मिली जानकारी के अनुसार, गार्ड के डिब्बे को हटाने की प्रक्रिया की सबसे पहले मालगाड़ियों से शुरू की जाएगी। इसके बाद पैसेंजर ट्रेनों से गार्ड के डिब्बे को हटाया जाएगा। बताया जा रहा है कि इसे हटाकर नई तकनीक की मशीन लगाई जाएगी।

बता दें कि भारतीय रेलवे अपनी ट्रेनों से गार्ड के डिब्बे को हटाकर नई तकनीकी की मशीन लगाने जा रहा है। बता दें कि गार्ड के इस डिब्बे को हटाकर जो नई मशीन लगाया जाएगा, वह ट्रेन के अंतिम कोच के साथ जोड़ा जाएगा, जो सिग्‍नल के जरिये लोको पायलट को सारी अहम जानकारी देती रहेगी। जैसे की ये सारी जानकारी पहले ट्रेन के अंतिम डिब्बे में ड्यूटी कर रहे गार्ड को देना पड़ता है, अब वहीं काम यह मशीन करेगी।

आपको बता दें कि इसकी शुरूआत सोमवार से की जा चुकी है। ऐसी 5 मशीनों का ट्रायल ईस्ट कोस्ट रेलवे में शुरू किया गया है। बताया जा रहा है कि ये मशीनें अमेरिका से लाई गई हैं। इससे पहले बीते शनिवार को इस मशीन का ट्रायल किया गया था, जो तलचर से पारादीप के बीच किया गया है।

ट्रायल की गई मशीन ने सारी जानकारी सही समय पर लोको पायटल तक पहुंचाई, जिसके बाद इसका ट्रायल की अवधि और भी बढ़ा दी गई है। बता दें कि इस ट्रायल का नाम EOTT यानी End of Train Telemetry दिया गया है। आम ज़ुबान में यह ट्रेन के अंतिम कोच और इंजन के बीच कम्यूनिकेशन का काम करती है।

मिली जानकारी के मुताबिक, साउथ अफ्रीका की एक कंपनी को ऐसी 250 मशीनों को बनाने का ऑर्डर दिया गया है। यह ऑर्डर रेलवे के बनारस लोकोमोटिव वर्क्स ने दिया है। इस खास प्रोजेक्ट को रेलवे ने पहले ही मंजूरी दे चुकी है। माना जा रहा है कि 100 करोड़ का यह प्रोजेक्ट अगर पूरा होता है, तो इससे रेलवे को कई स्तर पर फायदा होगा।

फायदे की लिस्ट में सबसे ऊपर ट्रेन के फ़िटनेस सर्टिफ़िकेट की परंपरा है, जो इस प्रोजेक्ट के आने से बंद हो जाएगा। बता दें कि हर बार ट्रेन रवाना होने के पहले गार्ड को दिये जाने वाले ट्रेन के फ़िटनेस सर्टिफ़िकेट की जानकारी देनी होती है, जो इस प्रोजेक्ट के आने से यह परंपरा बंद हो जाएगी। यह सर्टिफ़िकेट पहले ड्राइवर और फिर गार्ड को सौंपा जाता है। उसके बाद ही गार्ड ट्रेन को हरी झंडी दिखाता है।

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