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अमेरिका व यूरोप की अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने से भारतीय निर्यात में बढ़ोतरी की उम्मीद

[Edited By: Rajendra]

Saturday, 31st October , 2020 12:19 pm

वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही में अमेरिका व यूरोप की अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने से भारतीय निर्यात में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है। भारतीय निर्यात में अमेरिका व यूरोप की हिस्सेदारी 34 फीसदी है। वर्ष 2020 की जुलाई-सितंबर तिमाही में अमेरिका के जीडीपी में 33 फीसदी तो यूरो जोन के जीडीपी में 12 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यूरो जोन से जुड़े फ्रांस, इटली और स्पेन के जीडीपी में जुलाई-सितंबर में अच्छी रिकवरी हुई है। वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में अमेरिका व यूरो जोन के जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई थी।

निर्यातकों ने बताया कि अमेरिका व यूरोप के जीडीपी बढ़ने से निश्चित रूप से उनके निर्यात ऑर्डर में बढ़ोतरी होगी। भारतीय निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 16 फीसदी है। वित्त वर्ष 2019-20 में भारत ने अमेरिका में 53 अरब डॉलर का निर्यात किया था। इस अवधि में भारतीय वस्तुओं का कुल निर्यात 330 अरब डॉलर का रहा। कुल निर्यात में लगभग 18 फीसदी हिस्सेदारी यूरो जोन की है।

इंजीनियरिंग गुड्स के निर्यातक एस.सी. रल्हन ने बताया कि अप्रैल-जून तुलना में जुलाई-सितंबर के दौरान भारतीय निर्यातकों को अमेरिका से अधिक ऑर्डर मिले हैं। आने वाले महीनों के लिए भी अमेरिका से मिलने वाले निर्यात ऑर्डर में पहले के मुकाबले बढ़ोतरी दिख रही है। निर्यातकों ने बताया कि चीन के साथ अमेरिका के तनाव की वजह से निर्यात ऑर्डर में और इजाफा हो सकता है।

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अगस्त में भारत ने अमेरिका में 4.25 अरब डॉलर का निर्यात किया था जो पिछले साल अगस्त के मुकाबले 6 फीसदी कम है। निर्यातकों ने बताया कि तीसरी तिमाही में जीडीपी में 33 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद अमेरिका से मिलने वाले ऑर्डर में 15 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है।

दूसरी तरफ फ्रांस, स्पेन, इटली व ब्रिटेन जैसे यूरोप के प्रमुख देशों में कोरोना संक्रमण को फिर से हावी होता देख भारतीय निर्यातक चिंतित नजर आ रहे हैं। निर्यातकों ने बताया कि कोरोना की वजह से यूरोप के प्रमुख देशों में फिर से लॉकडॉउन होने पर खरीदार माल लेने से मुकर सकता है या डिलीवरी के समय को बढ़ा सकता है। नए ऑर्डर पूरी तरह से बंद हो जाएंगे। उनका कहना है कि लॉकडाउन होने के बाद कारोबार को फिर से संभलने में महीनों लग जाते हैं।

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