नये श्रम कानूनों की आड़ में परमानेंट नौकरी पर रखे गए कर्मचारियों को कांट्रैक्ट वर्कर के रूप में नहीं बदला जा सकता। सरकार ने कंपनियों को चेतावनी देते हुए ये सफाई दी है। हालांकि छंटनी किए गए कर्मचारियों की मदद के लिए विशेष फंड के तौर पर सीएसआर फंड के इस्तेमाल की अनुमति मिल सकती है। नये नियमों पर श्रम मंत्रालय अगले हफ्ते बड़ी बैठक करने जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक सर्विस रुल्स में बड़े बदलाव जल्द देखने को मिलेंगे। स्थायी नौकरी को कांट्रैक्ट में नहीं बदला जा सकेगा। श्रम मंत्रालय ने ड्राफ्ट रूल के जरिए ये स्पष्ट किया है। छंटनीग्रस्त कर्मचारियों की मदद के लिए विशेष फंड होगा। इस विशेष फंड से छंटनी कर्मचारियों की री-स्किलिंग होगी। सूत्रों के मुताबिक ड्राफ्ट रूल पर इंडस्ट्री भी अपने सुझाव सौंपे हैं। यूनियन और नेटवर्थ नियम पर भी सफाई की मांग की गई है।
सूत्रों के मुताबिक नये नियमों पर श्रम मंत्रालय 24 दिसंबर को बैठक बुलाई है। लेबर कोड रूल को अंतिम रूप देने के लिए ये बैठक बुलाई जा रही है। इस बैठक में इंडस्ट्री, एम्पलॉय एसोसिएशन और ट्रेड यूनियन भी शामिल होंगे। बता दें कि अप्रैल 2021 से नया लेबर कानून लागू करने की योजना है।