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कांग्रेस के साथ नाकाम रिश्तों पर क्या बोले प्रशांत किशोर

[Edited By: Arshi]

Tuesday, 25th January , 2022 12:15 pm

चुनाव रणनीतिककार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने कहा कि पश्चिम बंगाल चुनावों के बाद लगभग पांच महीने की चर्चा के बाद भी कांग्रेस के साथ उनकी बातचीत हुई थी, लेकिन विफल रही. उन्होंने कहा कि हालांकि पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को हराने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, लेकिन इसका वर्तमान नेतृ्त्व  फिलहाल ऐसी स्थिति में  दिख नहीं रहा है. 

प्रशांत किशोर ने कहा कि बंगाल के नतीजों के बाद उन्होंने अधिक से अधिक समय कांग्रेस के साथ बातचीत में बिताया. लगभग पांच महीने मई और सितंबर के बीच मैंने अपना हर मिनट दिया. मैं कुल मिलाकर करीब दो साल तक पार्टी के साथ चर्चा में रहा. उन्होंने आगे कहा कि दूसरों को स्वाभाविक तौर पर ये लगता है कि प्रशांत किशोर और कांग्रेस को साथ मिलकर काम करना चाहिए, लेकिन साथ काम करने के लिए दोनों तरफ से भरोसे का कदम बढ़ाया जाना जरूरी है. कांग्रेस की तरफ से इसकी कमी है. 

प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि 'दोनों के साथ आने के  लिए विश्वास बढ़ाने की जरूरत थी, लेकिन बहुत से कारणों की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पाया. 2017 में यूपी चुनावों के दौरान मेरा उनके साथ मेरा अनुभव अच्छा नहीं रहा था, इसलिए मैं थोड़ा सशंकित था. मैं फिर से इसमें अपने हाथ नहीं बंधने देना चाहता था.अगर निष्पक्ष तौर से कहा जाए तो कांग्रेस नेतृत्व का मुझे लेकर संदेह में रहना गलत नहीं है, मेरे बैकग्राउंड की वजह से ऐसा संदेह स्वाभाविक है कि मैं उनके प्रति 100 प्रतिशत वफादार रहूंगा या नहीं.'

उन्होंने आगे कहा कि 'मैं पार्टी में शामिल होने जा रहा था.  ये फैसला किसी विशेष चुनाव को लेकर नहीं था. यह 2024 चुनावों को लेकर भी नहीं था.  यह कांग्रेस की एक बार फिर मजबूत शुरुआत को लेकर फैसला था.' उन्होंने यह भी कहा कि वो पार्टी के साथ '90 फीसदी मसलों पर सहमति' रखते हैं. मैं कांग्रेस की तारीफ करता हूं. जिस विचारधारा और राजनीतिक मौजूदगी की वो नुमाइंदगी करती है, उसके बिना एक प्रभावी विपक्ष संभव नहीं है. हालांकि इसका मतलब नहीं है कि ये मौजूदा नेतृत्व के तहत आज की कांग्रेस के जरिये होगा. बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस में व्यापक बदलाव बहुत ज्यादा जरूरी है.

तृणमूल कांग्रेस की मदद करने के अपने प्रयास का बचाव करते हुए प्रशांत ने कहा कि ये प्रतिशोध नहीं है. उन्होंने कहा, "मेरा कद इतना छोटा है और इतनी बड़ी पार्टी से बदला लेने के बारे में मैं सोच भी कैसे सकता हूं. हमें एक मजबूत विपक्ष की जरूरत है.कांग्रेस को एक विचार के तौर पर कमजोर होते हुए नहीं देखा जा सकता. उसकी मजबूती लोकतंत्र के हित में है." जब कांग्रेस से बड़े पैमाने पर नेताओं के तृणमूल में जाने पर सवाल किया गया तो प्रशांत किशोर ने कहा, “बंगाल चुनाव के बाद पार्टी के विस्तार के लिए तृणमूल कांग्रेस और इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी ( I-PAC) के बीच एक सहमति बनी है. कुछ अवसरों पर जब उन्हें मेरी जरूरत होती है तो मैं उपलब्ध रहता हूं.”

 

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