पिछले कुछ दिनों की शांति के बाद हिंसाग्रस्त मणिपुर में शुक्रवार सुबह एक बार फिर हिंसा भड़क गई। सूत्रों के मुताबिक, सुबह करीब 5:30 बजे उखरुल जिले के लिटन पुलिस स्टेशन के अंतर्गत थवई कुकी गांव में संदिग्ध मैतेई सशस्त्र बदमाशों और कुकी स्वयंसेवकों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें तीन कुकी लोगों के मारे जाने की खबर है। बीएसएफ सहित सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेरकर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण बताई गई है।
उखरुल जिले के एसपी एन वाशुम ने घटना की पुष्टी करते हुए कहा, "हमारी जानकारी के मुताबिक हथियार बंद बदमाशों का एक समूह पूर्व में स्थित पहाड़ियों से गांव में आया और ग्राम रक्षकों पर गोलीबारी शुरू कर दी। इस घटना में गांव के तीन लोगों की मौत हो गई है। किसी के घायल होने की कोई सुचना नहीं हैं। अधिकारियों ने कहा कि तीनों लोगों के शरीर पर तेज चाकू से चोट के निशान हैं। उनके अंग भी कटे हुए हैं। आगे उन्होंने कहा, "घटना के बाद सुरक्षा बढ़ा दिया गया है। घटना में शामिल लोगों को पकड़न के लिए राज्य पुलिस और भारतीय सेना द्वारा संयुक्त अभीयान चलाया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, मैतेई उपद्रवियों ने सबसे पहले गांव के ड्यूटी पोस्ट पर हमला किया, जहां स्वयंसेवक गांव की सुरक्षा के लिए ड्यूटी कर रहे थे। इस गोलीबारी में कुकी स्वयंसेवकों के तीन लोगों के मारे जाने की खबर है। मारे गए लोगों की पहचान जामखोगिन हाओकिप (26), थांगखोकाई हाओकिप (35) और होलेनसोन बाइते (24) के रूप में हुई है।
बता दें थवई कुकी कामजोंग रेवेन्यू जिले के अंतर्गत आता है, लेकिन यह उखरुल जिले के पुलिस क्षेत्राधिकार में आता है। यह गांव नागा-बहुल उखरुल जिले और मैतेई-बहुल इंफाल पूर्वी जिले के बीच की सीमा पर स्थित है। उल्लेखनीय है कि यह गांव मैतेई आबादी क्षेत्र से काफी दूर स्थित है। निकटतम मेइतेई निवास यिंगांगपोकपी में है जो घटना स्थल से 10 किलोमीटर से अधिक दूर है। बताया जा रहा है कि घटनास्थल से 37 बीएन बीएसएफ (महादेव) करीब पांच से छह किलोमीटर दूर है। घटना के बाद बीएसएफ सहित अन्य सुरक्षाबल मौके पर पहुंच गए हैं। सुरक्षाबलों ने पूरे क्षेत्र को घेरकर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।
बता दें कि मणिपुर में बहुसंख्यक मैतई समुदाय जनजातीय आरक्षण देने की मांग कर रहा है। इसकी वजह ये है कि मैतई समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है लेकिन ये लोग राज्य के सिर्फ 10 प्रतिशत मैदानी इलाके में रहते हैं। वहीं कुकी और नगा समुदाय राज्य के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं जो की राज्य का करीब 90 फीसदी है। जमीन सुधार कानून के तहत मैतई समुदाय के लोग पहाड़ों पर जमीन नहीं खरीद सकते, जबकि कुकी और नगा समुदाय पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। यही वजह है, जिसकी वजह से हिंसा शुरू हुई और अब तक इस हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।