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रूस और तुर्की में जंग का मंडराया खतरा

[Edited By: Rajendra]

Tuesday, 29th September , 2020 03:54 pm

आतंकवाद की फैक्‍ट्री पाकिस्‍तान और उसके 'धार्मिक आका' तुर्की के आर्मीनिया से जंग के लिए हजारों आतंकी भेजने की खबरें आ रही हैं। बताया जा रहा है कि ये आतंकवादी गृहयुद्ध से प्रभावित सीरिया और लीबिया से नागोरनो-काराबाख भेजे जा रहे हैं। 'किलिंग मशीन' कहे जाने वाले इन आतंकवादियों को मुस्लिम देश अजरबैजान के पक्ष में ईसाई देश आर्मीनिया से युद्ध के लिए काफी पैसा दिया जा रहा है। तुर्की के इस कदम से तनाव काफी बढ़ गया है और उसके रूस से जंग का खतरा मंडराने लगा है।

ये आतंकवादी 22 सितंबर और उसके बाद तुर्की के रास्‍ते अजरबैजान की राजधानी बाकू पहुंचे थे। भारी हथियारों से लैस इन आतंकवादियों की तादाद करीब 1 हजार बताई जा रही है। ये सभी अल हमजा ब्रिगेड के बताए जा रहे हैं। ज्‍यादातर आतंकवादी सीरिया से आए हैं। हालांकि कुछ लोगों को लीबिया से भी भेजा गया है। बताया जा रहा है कि तुर्की के इस मिशन में पाकिस्‍तान भी मदद कर रहा है और उसके आतंकवादी इस इलाके में काफी सक्रिय हैं।
आईएसआई आतंकवादियों को अजरबैजान भेजने का काम कर रही

खबरों में दावा किया जा रहा है कि पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई इन आतंकवादियों को एकजुट करके अजरबैजान भेजने का काम कर रही है। बताया जा रहा है कि तुर्की इन आतंकवादियों को 1500 से 2000 डॉलर सैलरी दे रहा है। वहीं पाकिस्‍तानी सोशल मीडिया में अजरबैजान के समर्थन में जमकर पोस्‍ट किए जा रहे हैं। बता दें कि आर्मीनिया में जहां 94 फीसदी आबादी ईसाई है, वहीं अजरबैजान में 97 फीसदी आबादी मुस्लिम है।

विश्‍लेषकों का कहना है कि इस जंग में अजरबैजान का साथ देकर तुर्की खुद को मुस्लिम देशों का नेता बनाना चाहता है। साथ ही उसका यह भी मकसद है कि तेल से समृद्ध अजरबैजान उसके साथ बना रहे ताकि उसे आसानी से तेल म‍िलता रहे। उधर, पाकिस्‍तान ने खुलकर अपने धार्मिक आका तुर्की और अजरबैजान का समर्थन किया है और आर्मीनिया का जोरदार विरोध किया है।

सोवियत संघ का हिस्सा रहे दो देश आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच जंग तेज हो गई है. इसके साथ ही अब तक खबरों की मानें तो दोनों देशों के 80 से ज्यादा सैनिक शहीद हो गए हैं. स्थिति इसलिए भी चिंताजनक कही जा सकती है क्योंकि इसमें रूस और तुर्की के उतरने का खतरा पैदा हो गया है.

दरअसल आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच विवादित क्षेत्र नागोरनो-काराबाख को लेकर विवाद है जो अब युद्ध का रूप ले चुका है. अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि आर्मीनियाई बलों ने सोमवार सुबह टारटार शहर पर गोलाबारी शुरू कर दी. वहीं, आर्मीनिया के अधिकारियों ने कहा कि लड़ाई रातभर जारी रही और अजरबैजान ने सुबह के समय घातक हमले शुरू कर दिए.

इन दो देशों के बीच जारी युद्ध में अब रूस और तुर्की के कूदने का खतरा पैदा हो गया है.बता दें कि रूस जहां आर्मीनिया का समर्थन कर रहा है, वहीं अजरबैजान के साथ नाटो देश तुर्की और इजरायल हैं.

रूस इसलिए भी हस्तक्षेप कर सकता है क्योंकि न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक आर्मेनिया और रूस में रक्षा संधि है. इस संधि के अनुसार अगर कोई भी देश आर्मेनिया की जमीन पर हमला करता है तो रूस को मोर्चा संभालने के लिए आ सकता है.

वहीं दूसरी तरफ उधर, अजरबैजान के साथ तुर्की खड़ा है. तुर्की ने एक बयान में कहा है कि हम आर्मीनिया या किसी और देश के आक्रामक कार्रवाई के खिलाफ अजरबैजान की जनता के साथ आगे भी खड़े रहेंगे.

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