कोरोना वायरस की स्थिति को लेकर इस सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) एक प्रमुख बैठक करने वाला है। चीन की तरफ से डाली गई बाधा के चलते अभी तक ताइवान को इस बैठक के लिए न्योता नहीं भेजा गया है। इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए ताइवान के विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी।
पिछले हफ्ते जिनेवा में अमेरिकी मिशन ने डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अधनोम ग्रेबेसियस से ताइवान को डब्ल्यूएचओ के निर्णय लेने वाले निकाय 'विश्व स्वास्थ्य सभा' (डब्ल्यूएचए) में बुलाने के लिए आमंत्रित करने का आग्रह किया। रविवार को ताइवान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ताइवान को अभी तक 194 सदस्य राज्यों की आभासी बैठक का निमंत्रण नहीं मिला है।
मंत्रालय ने कहा, डब्ल्यूएचओ की बैठक में भाग लेने वाले ताइवान के लिए चीन द्वारा रुकावट पैदा करने और डब्ल्यूएचओ की ओर से ताइवान के 2.3 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य और मानवाधिकारों की अवहेलना करने को लेकर विदेश मंत्रालय ने सख्त खेद और असंतोष व्यक्त किया है।
ताइवान के विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों में कहा, डब्ल्यूएचओ ने राजनीतिक विचारों के आधार पर ताइवान को आमंत्रित करने से इनकार कर दिया, जो निकाय के 'स्वास्थ्य सभी के लिए' वाले दावे का मजाक उड़ाता है।
ताइवान को चीन की आपत्तियों के कारण डब्ल्यूएचओ जैसे अधिकांश वैश्विक संगठनों से बाहर रखा गया है। चीन ताइवान को अपने एक प्रांत के रूप मानता है और इसे एक संप्रभु राज्य के रूप में मान्यता नहीं देता है।
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि यह सदस्य देशों पर निर्भर है कि वे ताइवान को डब्ल्यूएचए की बैठक का अवलोकन करने के लिए आमंत्रित करें या नहीं। दुनियाभर के देशों ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए ताइवान की काफी प्रशंसा की है। संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा समर्थित ताइवान ने इस वर्ष चीन को नाराज करने के लिए इस बैठक में भाग लेने की इच्छा जताई है।
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में चीन के मिशन ने शुक्रवार को ताइवान पर विकृत अमेरिकी टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा द्वीप केवल तभी इस बैठक में भाग ले सकता है जब वह चीन का हिस्सा होने की बात स्वीकार करता है। हालांकि, ताइपे की सरकार ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है।