लखनऊ-महाशिवरात्रि भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा दिन है। इस दिन भोलेनाथ के उपासक उनकी पूजा-अर्चना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति कर सकते हैं। हालांकि, ये शिव पर्व इस साल और भी ज्यादा खास होने जा रहा है। महाशिवरात्रि का पर्व 11 मार्च को है और ज्योतिषविदों के मुताबिक, 101 साल बाद इस त्योहार पर एक विशेष संयोग बनने जा रहा है।
ज्योतिषियों का कहना है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवयोग, सिद्धियोग और घनिष्ठा नक्षत्र का संयोग आने से त्योहार का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। इन शुभ संयोगों के बीच महाशिवरात्रि पर पूजा बेहद कल्याणकारी मानी जा रही है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। 11 मार्च गुरुवार को त्रयोदशी और चतुर्दशी मिल रही हैं। इस दिन शिव योग, सिद्धि योग और घनिष्ठ नक्षत्र का संयोग बन रहा है। महाशिवरात्रि पर ऐसी घटना 101 साल बाद होने जा रही है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह इसी दिन हुआ था।
भोलेनाथ के विवाह में देवी-देवताओं समेत दानव, किन्नर, गंधर्व, भूत, पिशाच भी शामिल हुए थे। महाशिवरात्रि पर शिवलिंग को गंगाजल, दूध, घी, शहद और शक्कर के मिश्रण से स्नान करवाया जाता है। ज्योतिषियों का ये भी कहना है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को संसार के कल्याण के लिए शिवलिंग प्रकट हुआ था।
महाशिवरात्रि का शुभ मुहर्त
11 मार्च सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक शिव योग रहेगा। उसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा। जो कि 12 मार्च सुबह 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। शिव योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं 7 इसके साथ ही रात 9 बजकर 45 मिनट तक घनिष्ठा नक्षत्र रहेगा
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
प्रात:काल में जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भरकर उसके ऊपर बेलपत्र डालें। धतूरे के फूल डालें। चावल आदि डालें और फिर इन्हें शिवलिंग पर चढ़ाएं। यदि आप शिव मंदिर नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर आपका उनका पूजन कर सकते हैं। शिव पुराण का पाठ करें और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें
शिवरात्रि के दिन पंचामृत से शिवलिग को स्नान कराना चाहिए। इसके बाद 'ऊँ नम: शिवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए। साथ ही शिव पूजा के बाद अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहूति देनी चाहिए। होम के बाद किसी भी एक फल की आहुति दें। व्रत के पश्चात, ब्राह्मणों को खाना खिलाकर और दीपदान करके स्वर्ग को प्राप्त किया जा सकता है। शिवलिग स्नान के लिए रात के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घृत और चौथे प्रहर में शहद से स्नान कराना चाहिए।