चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमें क्षेत्र के अधिकारियों से, चुनाव आयोग के कर्मचारियों से और लोगों से तरह-तरह के सुझाव मिलते रहते हैं। एक विचार यह भी है जिसपर आयोग काम कर रहा है लेकिन अभी तक इस पर कोई आखिरी फैसला नहीं लिया गया है।
चुनाव आयोग चाहता है कि लोगों के पास मतदाता पहचान पत्र जल्दी पहुंचे। आयोग का मानना है कि मतदाता पहचान पत्र के छपने और पहचान पत्र को मतदाता तक पहुंचने में अभी काफी समय लगता है। चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि अगर आय़ोग डिजिटल मतदाता पहचान पत्र पर काम करता है तो इसे मोबाइल,वेबसाइट और ई-मेल के जरिए रखा जा सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि लेकिन अभी इस पर विचार किया जा रहा है। जब हम इस पर फैसला लेंगे तभी इस विषय पर पूरी जानकारी दी जाएगी। हमारा इरादा मतदाता पहचान पत्र को मतदाता तक जल्दी पहुंचाने का है। चुनाव आयोग के एक अन्य अधिकारी ने कहा है डिजिटल मतदाता पहचान पत्र पर काम करने से पहले हमें इसके सुरक्षा पहलुओं पर काम करना होगा।
खबरों के मुताबिक कहा जा रहा है कि अगले साल 5 राज्यों में होने वाले चुनाव से पहले डिजिटल फॉर्मेट वाले वोटर आईडी उपलब्ध कराया जा सकता है। इसके लिए अभी सरकार से मंजूरी का इंतजार है।
बता दें कि इस डिजिटल कार्ड के जरिये लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। डिजिटल फॉर्मेट वोटर कार्ड के में दो QR कोड होंगे। एक QR कोड में मतदाता का नाम, पिता का नाम, उम्र, लिंग से जुड़ी जानकारी के अलावा मतदाता का फोटो होगा तो वहीं दसरे में मतदाता का पता, सूची में क्रम संख्या के अलावा दूसरी जानकारियां होगी।
आधार कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस भी लोगों को डिजिटल माध्यम में उपलब्ध हैं। अगर मतदाता पहचान पत्र डिजिटल हो जाता है तो मतदाता की तस्वीर बिल्कुल साफ होगी। फोटो युक्त मतदाता पहचान पत्र का प्रारंभ साल 1993 में हुआ था। देश में यह पहचान और पते के सबूत के तौर पर काम आता है।