Trending News

अमेरिका में सत्ता छोड़ने से पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन को दिया झटका

[Edited By: Rajendra]

Friday, 4th December , 2020 02:14 pm

अमेरिका और चीन में तनाव जारी है। अमेरिका में चुनाव हार चुके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को फिर झटका दिया है। अमेरिका ने चीन के सबसे बड़े प्रोसेसर चिप निर्माता कंपनी एसएमआईसी और तेल की दिग्गज कंपनी सीएनओओसी समेत 4 चाइनीज कंपनियों को ब्लैकलिस्ट में डाल दिया है। इस बात की जानकारी डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस ने दी है।

अमेरिकी संसद ने एक विधेयक पारित किया था, जिसके तहत लगातार तीन वर्षों तक अपनी ऑडिट सूचनाएं बाजार नियामक को नहीं देने वाली कंपनियां अमेरिकी शेयर बाजार में सूचीबद्ध नहीं रह सकेंगी। इस कदम के बाद धोखेबाजी से सूचनाएं छिपाने वाली चीनी कंपनियों को अमेरिकी शेयर बाजारों से डिलिस्ट होना पड़ेगा।

रक्षा विभाग के मुताबिक, जिन चीनी कंपनियों पर ट्रंप प्रशासन का हथौड़ा चला है, वे हैं- चाइना कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी कंपनी, चाइना इंटरनेशनल इंजीनियरिंग कंसल्टिंग कॉर्प, चाइना नेशनल ऑफशोर ऑयल कॉर्पोरेशन और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन। इस तरह से अमेरिका ने अब तक चीन की कुल 35 कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर रखा है।

यह विधेयक ऐसी कंपनियों को अमेरिकी शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने से प्रतिबंधित करता है, जो लगातार तीन वर्षों तक सार्वजनिक कंपनी लेखा निगरानी बोर्ड (पीसीएओबी) के ऑडिट नियमों का पालन करने में विफल रही है। नए नियमों के तहत सार्वजनिक कंपनियों को यह बताना होगा कि क्या वे चीन की कम्युनिस्ट सरकार सहित किसी विदेशी सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण में हैं, और साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अमेरिका में कारोबार करने वाली विदेशी कंपनियों पर वही लेखा नियम लागू होंगे, जो अमेरिकी कंपनियों पर लागू होते हैं।

उन्होंने कहा, ''वाशिंगटन का यह रुख खुद अमेरिकी हितों के प्रति पूरी तरह से असंगत है।'' उन्होंने कहा कि यह अमेरिका की वैश्विक छवि को धूमिल करेगा। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''मुझे लगता है कि यह सभी को स्पष्ट है कि अमेरिका में चीन विरोधी कुछ ताकतों द्वारा राजनीतिक दबाव बढ़ाने की कोशिश है तथा यह चीन के खिलाफ शीत युद्ध वाली मानसिकता है जिसने गहरी जड़ें जमाई हुई है। ''

वाशिंगटन के इस तरह के कदम उठाने की योजना के बारे में पहले मिले संकेतों के बाद यह संभव जान पड़ता है। यहां तक कि कम्युनिस्ट पार्टी के सभी सदस्यों पर पूर्ण पाबंदी लगाई जा सकती है। बहरहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि इन पाबंदियों को किस तरह से क्रियान्वित किया जाएगा क्योंकि कई सदस्य पार्टी की संस्थाओं में सक्रिय सार्वजनिक भूमिका नहीं निभाते हैं।

मानवाधिकारों, कोरोना वायरस महामारी, व्यापार, ताईवान और कई अन्य मुद्दों को लेकर विवाद बढ़ने के बीच ये पाबंदियां चीन के नेतृत्व एवं अर्थव्यवस्था के खिलाफ नये दंडात्मक कदम होंगे। उइगर और शिंजियांग में अन्य चीनी मुस्लिम समूहों पर कार्रवाई से जुड़े चीनी अधिकारियों पर यात्रा प्रतिबंध अमेरिका पहले ही लगा चुका है।

Latest News

World News