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यूपी में नाइट कर्फ्यू का समय बदला , जानें किस शहर में रहेगी पाबंदी

[Edited By: Aviral Gupta]

Thursday, 15th April , 2021 03:04 pm

 

यूपी में कोरोना के बढ़ते केस के कारण नाइट कर्फ्यू के समय में बदलाव किया गया है। जहां भी दो हजार से ज्यादा एक्टिव केस है वहां अब रात आठ बजे से सुबह सात बजे तक पाबंदियां रहेंगी। इसमें लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर नगर, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, मेरठ, गोरखपुर आदि शहर हैं। आपको बता दे कि कोविड-19 पर प्रभावी नियंत्रण के लिए गठित टीम-11 के साथ वर्चुअल मीटिंग में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2000 से अधिक एक्टिव केस वाले सभी जिलों में रात 08 बजे से सुबह 07 बजे तक कोरोना कर्फ्यू प्रभावी किया जाए। इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू करें। लोगों को मास्क और सैनिटाइजेशन के महत्व को समझाएं। उन्होंने कहा कि राजधानी लखनऊ में अन्य जनपदों के मरीजों का आगमन स्वभाविक है। अतः यहां अतिरिक्त व्यवस्था करने की आवश्यकता है। केजीएमयू और बलरामपुर हॉस्पिटल को पूर्णतः डेडिकेटेड हॉस्पिटल के रूप में तैयार किया जाए। यह कार्य चरणबद्ध ढंग से हो। नॉन कोविड मरीजों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाए। लखनऊ में टीएस मिश्र हॉस्पिटल, इंटीग्रल और हिन्द मेडिकल कॉलेजों को डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल के रूप में क्षमता विस्तार किए जाने की आवश्यकता है। अगले दो दिनों ने यहां अतिरिक्त बेड्स उपलब्ध कराए जाएं। कोविड संक्रमण से बचाव में एक से 12वीं तक के विद्यालयों में 15 मई तक पठन-पाठन स्थगित रखा जाए। इस अवधि में कोई परीक्षा भी न आयोजित हो। माध्यमिक शिक्षा परिषद की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं 20 मई के बाद आयोजित की जाएं। नई समय-सारिणी के लिए मई के पहले सप्ताह में विचार हो। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनावों में संलग्न कार्मिकों की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए जाएं। कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से अनुपालन हो। मतदान कर्मियों के लिए मास्क, ग्लब्स, सैनिटाइजेशन आदि की पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए। कोविड-19 के प्रसार के दृष्टिगत विभिन्न राज्यों से प्रवासी श्रमिकों की वापसी संभावित है। अतःसभी जनपदों में कोविड प्रोटोकॉल के अनुरूप क्वारन्टीन सेंटर संचालित हों। क्वारन्टीन सेंटरों में चिकित्सा सुविधाओं के साथ-साथ भोजन/शयन आदि की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। कोविड से बचाव के लिए उपयोगी रेमिडीसीवीर और ऑक्सीजन की उपलब्धता पर सतत नजर रखी जाए। मुख्य सचिव कार्यालय और मुख्यमंत्री कार्यालय से प्रतिदिन इसकी समीक्षा की जाए।

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