साल 2020 अब खत्म होने वाला है, ऐसे में नए साल की शुरुआत के साथ हर क्षेत्र की कंपनियां व सरकार नए नए नियमों को लागू करेगी. ऐसे में नए साल की शुरुआत होते ही आपके जेब पर असर पड़ना शुरू हो सकता है. क्योंकि मोबाइल रिचार्ज कंपनियां अपने टैरिफ प्लान में बढ़ोतरी कर सकती हैं, इससे आपका मोबाइल रिचार्ज महंगा हो जाएगा. बता दें कि अगले साल स्पेक्ट्रम की नीलामी भी होने वाली है. पीटीआई की एक खबर के मुताबिक ये कंपनिया AGR बकाया चुकाने के कारण अपनी टैरिफ प्लान्स को बढ़ा सकती हैं. गौरतलब है कि भारतीय बाजार में जियो की एंट्री से पहले कई सारी टेलीकॉम कंपनियां थीं, लेकिन जियो के आने के बाद कंपनियों की प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गई. कुछ कंपनियां तो बंद ही हो गई, वहीं कुछ कंपनियों का एक दूसरे में विलय हो गया तो कुछ मिलकर काम करने लगीं
भारतीय बाजार के विशेषज्ञों के मुताबिक अगर मोबाइल रिचार्ज इत्यादि में बढ़ोत्तरी की जाती है तो यह टेलीकॉम कंपनियों के लिए काफी फायदेमंद रहेगा. इस बाबत वोडाफोन और आइडिया का कहना है कि करीब 50,000 रुपये करोड़ का उन पर बकाया है और इंडस्ट्री में दरों को बढ़ने से रोकने का कोई कारण नहीं है. बता दें कि वोडाफोन आइडिया ने हाल ही में पोस्टपैड टैरिफ की दरों को बढ़ाया है.
बता दें कि भारतीय एयरटेल भी दरों टैरिफ की दरों को बढ़ाने के लेकर विचार कर रही है. कंपनी को इन दरों में बढ़ोत्तरी करने से कोई परहेज नहीं है. कंपनी ने इस बाबत संकेत भी दे दिया है कि वह टैरिफ की दरों में बढ़ोत्तरी करने जा रही है. बता दें कि मुकेश अंबानी की कंपनी जियो के बाजार में आने से पहले एयरटेल देश में पहले स्थान की टेलीकॉम कंपनी थी, लेकिन जियो के भारतीय बाजार में आते ही प्रतिस्पर्धा बढ़ गई और एयरटेल को अपना नंबर एक का स्थान गंवाना पड़ गया. हालांकि कंपनी का कहना है कि यदि दूसरी टेलीकॉम कंपनियां कीमतों को बढ़ाएंगी, तो वह भी ऐसा ही करेगी.
स्पेक्ट्रम की नीलामी पर सबकी नजर
क्रेडिट सुइस के अनुसार जियो बाकी कंपनियों की अपेक्षा अधिक स्पेक्ट्रम हासिल कर सकती है, क्योंकि बाजार में उसकी 3 प्रतिशत से ज्यादा की हिस्सेदारी है और कहीं ज्यादा टैरिफ हिस्सेदारी के साथ वह अपनी नेटवर्क की क्षमता को बढ़ाना चाहती है. वहीं माना जा रहा है कि साल 2021 में स्पेक्ट्रम की नीलामी को सामान्य प्रतिक्रिया मिलेगी. 3.92 लाख करोड़ रुपये की स्पेक्ट्रम की बोली 30,000 करोड़ से 50,000 करोड़ के बीच रह सकती है. बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान जब सभी क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की जा रही थी, उस दौरान टेलीकॉम सेक्टर ने अपने टैरिफ प्लान्स को सस्ता कर दिया और बाजार की मांग को पूरा किया. साथ ही इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी राहत भी मिली.