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भारतीय वायुसेना प्रमुख का बड़ा बयान, चीन-पाक दोनों से एक लड़ने को तैयार सेना

[Edited By: Rajendra]

Monday, 5th October , 2020 04:58 pm

पूर्वी लद्दाख में पिछले काफी समय से भारत-चीन के बीच सीमा पर तनाव बना हुआ है। ऐसे में दोनों देश एक दूसरे के खिलाफ अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए सीमा पर अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा रहे हैं। इसी बीच वायुसेना प्रमुख राकेश कुमार सिंह भदौरिया का बड़ा बयान सामने आया है, उन्होंने कहा है कि भारत दोनों फ्रंट पर युद्ध लड़ने के लिए तैयार है।

वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने कहा है कि भारतीय वायुसेना पाकिस्तान और चीन दोनों के साथ एक साथ युद्ध लड़ने के लिए तैयार है। वह कहते हैं हमारी सेना हर मोर्चे पर दुश्मन सेना के खिलाफ बीस साबित होगी। चीन तवान पर उन्होंने कहा है कि इसका फायदा पाकिस्तान उठाने में लगा हुआ है।

88वें वायुसेना दिवस से पहले एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया सोमवार को राजधानी दिल्ली में सालाना प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. उसी दौरान वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भले ही चीन ने मिलिट्री-टेक्नोलॉजी में बहुत ज्यादा निवेश किया हुआ है और उसके पास लंबी दूरी की उन्नत किस्म की मिसाइलें हैं लेकिन लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी के एयर-स्पेस में अगर कोई युद्ध हुई तो भारतीय वायुसेना चीन से बेहतर साबित होगी.
भदौरिया के मुताबिक, हम किसी भी पारंपरिक युद्ध के लिए तैयार है और टू-फ्रंट वॉर (यानि चीन और पाकिस्तान के साथ एक साथ दो मोर्चों पर लड़ने ) के लिए तैयार हैं. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि अगर चीन हमारे खिलाफ पीओके (पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर) स्थित स्कार्दू एयरबेस का इस्तेमाल करता है तो उन्हें कुछ नहीं कहना है. लेकिन उन्होनें ये जरूर कहा कि पिछले पांच महीने में (जब से पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर टकराव शुरू हुआ है) तब से चीन और पाकिस्तान के गठजोड़ की कोई जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन अगर ऐसी नौबत आई तो भारत अपने ढंग से निपटेगा.

इसी मौके पर बोलते हुए वायुसेना चीफ ने राफेल की बात करते हुए कहा है कि राफेल के आने से दुश्मनों में खौफ है। इससे हमें ताकत मिली है। इससे आगे हम अपने दुश्मनों पर ठोस कार्यवाही कर पाएंगे। इससे भारतीय वायुसेना और भी ताकतवर हो जाएगी।

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि इस साल मई के महीने में चीन ने युद्धभ्यास की आड़ में एलएसी पर घुसपैठ करने की कोशिश की थी, लेकिन जितनी तेजी से वायुसेना की मदद से थलसेना ने अपनी तैनाती को पूर्वी लद्दाख सहित पूरी एलएसी पर मजबूत की उसकी उम्मीद चीन ने भी नहीं की थी.

भदौरिया के मुताबिक, पिछले पांच महीने से वायुसेना किसी भी तरह की एयर-स्ट्राइक की तैयारी कर चुकी है, लेकिन चीन सीमा पर इसकी जरूरत नहीं आई है. वायुसेना प्रमुख ने चीन से कोर कमांडर स्तर की धीमी गति से चल रही बातचीत पर भी चिंता जताई लेकिन, कहा कि उम्मीद है कि बातचीत का कोई सकारात्मक परिणाम निकेलगा.

भदौरिया ने कहा कि चिनूक और अपाचे जैसे फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर्स के भारतीय वायुसेना में शामिल होने से भारत की मारक क्षमता काफी बढ़ गई है. उन्होनें कहा कि जिस तरह से एलएसी पर हमारी तैनाती हुई है उससे हमारी ऑपरेशन्ल तैयारियां का पता चलता है और हम किसी भी चुनौती और परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार है.

8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना अपना 88वां स्थापना दिवस मना रही है. इस मौके पर राजधानी दिल्ली के करीब हिंडन एयरबेस पर फ्लाईपास्ट का आयोजन किया जाएगा जिसमें पहली बार फ्रांस से लिए रफाल लड़ाकू विमान मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेंगे.

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